सृजन और शक्ति की प्रतीक हैं बेटियां -पं-भरत उपाध्याय

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विजय कुमार शर्मा बगहा पश्चिम चंपारण,बिहार


मधुबनी, बगहा अनुमंडल अंतर्गत मधुबनी प्रखंड स्थित राजकीय कृत हरदेव प्रसाद इंटरमीडिएट कॉलेज मधुबनी के पूर्व प्राचार्य पं०भरत उपाध्याय ने मांगलिक कार्यक्रमों में भाग लेते हुए कहा कि डॉ अजय पाण्डेय ने अपने बेटियों का बड़े दिल से परवरिश किया है आज उसके वैवाहिक कार्यक्रम में शामिल होकर आशीर्वाद प्रदान करते हुए गर्व महसूस हो रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि हमारा देश पुरुष प्रधान देश है। लेकिन वैदिक काल से ही नारी शक्ति की पूजा होती चली आ रही है। हर कोई चाहता है कि उसका वंश आगे बढ़े, हर किसी को पत्नी चाहिए, मां चाहिए ,लेकिन जब बात बेटी की आती है, तो भ्रूण हत्या कर दी जाती है, या फिर जन्म के बाद उसके साथ हीन भावना से व्यवहार किया जाता है। लोग यह नहीं सोचते कि जब बेटी ही नहीं होगी, तो न पत्नी होगी न मां और ना ही वंश आगे बढ़ पाएगा। इसलिए हमें एकजुट होकर बेटियों को बचाने और उन्हें सम्मान देने के लिए प्रयास करना चाहिए। देश में बेटियों की घटती संख्या निश्चित ही चिंता का विषय है।

महिलाओं को अपनी शक्ति का एहसास होना चाहिए, क्योंकि वह शक्ति और सृजन की प्रतीक हैं ,देवी दुर्गा भी शक्ति का ही स्वरुप हैं ।उन्होंने आगे कहा कि शादी विवाह या किसी अन्य समारोह में आज आयोजित होने वाले स्नेह भोज में अक्सर देखा जाता है ,कि लोग अपने थालियों में आवश्यकता से अधिक भोजन परोस लेते हैं और थोड़ा सा खाकर भोजन से भरी थालियां टब में डाल देते हैं, वही लोग अपने घर में उतना ही भोजन थाली में लेते हैं जितना उन्हें खाना होता है। भोजन की बर्बादी अन्नदेवता और अन्नदाता किसान का अपमान है। हम जितना भोजन करना चाहते हैं, उतना ही थाली में लें, इसके लिए लोगों को जागरूक होना पड़ेगा। साथ ही यही संस्कार हमें अपने बच्चों को भी देना होगा जिससे अन्न की बर्बादी को रोका जाए सके।
इस अवसर पर पंडित महेश्वर उपाध्याय, नीलरतन चतुर्वेदी, विट्टू सिंह, कपिल पाण्डेय, अक्षयवर पाण्डेय, दिनेश कुमार गुप्ता सहित सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।

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