बगहा में बाल श्रम का खुलासा, कृषि विभाग का अधिकारी बच्चों से करवा रहा था मजदूरी

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विजय कुमार शर्मा बगहा पश्चिम चंपारण

एनएच-727 पर स्थित रहमान नगर, बगहा नगर थाना क्षेत्र में गुरुवार देर शाम उस समय हड़कंप मच गया जब स्थानीय लोगों ने कृषि विभाग के एक अधिकारी पर बाल श्रम और भ्रष्ट आचरण के गंभीर आरोप लगाए। सैकड़ों की संख्या में जुटे महिला, पुरुष, युवा और बच्चे इस अमानवीय कृत्य के खिलाफ सड़क पर उतर आए और जमकर प्रदर्शन किया।

अधिकार का दुरुपयोग, बच्चों से कराया जा रहा था घरेलू काम

प्राप्त जानकारी के अनुसार, कृषि विभाग में कार्यरत सत्यम कुमार, जो पटना के निवासी हैं, रहमान नगर में किराए के मकान में रह रहे थे। उन पर आरोप है कि वे मोहल्ले के मासूम बच्चों को चंद रुपयों, बिस्किट, चॉकलेट और ट्यूशन का लालच देकर अपने घर बुलाते थे और उनसे झाड़ू-पोंछा, कपड़े धोना, सफाई जैसे घरेलू कार्य करवाते थे।स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कृत्य न केवल नैतिक रूप से शर्मनाक है बल्कि सरकारी पद का खुला दुरुपयोग और बाल श्रम कानून का घोर उल्लंघन है। बच्चों के माता-पिता ने जब बच्चों की गतिविधियों पर संदेह जताया और पूछताछ की, तो सच्चाई सामने आई।

स्थानीय प्रशासन हरकत में, भारी पुलिस बल तैनात

घटना की जानकारी मिलते ही बगहा नगर थाना पुलिस और डायल-112 की क्विक रिस्पांस टीम मौके पर पहुंची। भीड़ को शांत करने में थाना के एसआई दिलीप सिंह की अहम भूमिका रही। पुलिस ने मौके की नजाकत को देखते हुए सत्यम कुमार को पूछताछ के लिए थाने ले जाया गया।

मकान मालिक ने जताई अनभिज्ञता

जिस मकान में अधिकारी सत्यम कुमार रह रहे थे, वह चखनी रजवटिया पंचायत निवासी डॉ. महादेव प्रसाद का है। उन्होंने बताया कि अपना मकान किराए पर दिया था, जिसमें अन्य शिक्षक और छात्र-छात्राएं भी रहते हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस प्रकार की गतिविधि की उन्हें जानकारी नहीं थी, लेकिन अब यह मामला उनके संज्ञान में आ गया है।

भ्रष्टाचार का घिनौना चेहरा

यह घटना सरकारी सिस्टम में व्याप्त उस गहरी सड़ांध को उजागर करती है, जिसमें एक सरकारी अधिकारी, जो किसानों की सेवा के लिए नियुक्त है, वह खुद बच्चों के अधिकारों का हनन कर रहा है। चंद पैसों और खाने के सामान के लालच में बच्चों से जबरन मजदूरी कराना न केवल गैरकानूनी है, बल्कि समाज के लिए एक कलंक भी है।

समाज को सोचना होगा

यह मामला महज एक व्यक्ति विशेष का नहीं, बल्कि उस सोच का प्रतीक है जहाँ सत्ता और पद का इस्तेमाल केवल निजी स्वार्थ के लिए किया जाता है। अब ज़रूरत है कि प्रशासन सख्त कदम उठाए और ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई कर उदाहरण पेश करे।

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