ए.पी. पाठक को शिकागो ओपन यूनिवर्सिटी से मिली डॉक्टरेट की मानद उपाधि

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विजय कुमार शर्मा बगहा पश्चिम चंपारण, बिहार

वरिष्ठ प्रशासक एवं समाजसेवी ए.पी. पाठक को उनके उत्कृष्ट जनसेवा कार्यों और प्रशासनिक क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए शिकागो ओपन यूनिवर्सिटी द्वारा “Doctorate in Public Administration and Societal Leadership” की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में लगभग 38 वर्षों की उत्कृष्ट प्रशासनिक सेवाओं और समाजसेवा में अविस्मरणीय योगदान के लिए यह सम्मान उन्हें प्रदान किया गया है।

यह उपलब्धि न केवल ए.पी. पाठक के लिए, बल्कि चंपारण के हजारों युवाओं और लाखों लोगों के लिए गर्व और प्रेरणा का क्षण है , क्योंकि चंपारण के एक छोटे से गाँव से निकलकर राष्ट्रीय स्तर पर सेवा और समाजसेवा में पहचान बनाना अपने आप में ऐतिहासिक उपलब्धि है। अपने चार दशक लंबे प्रशासनिक कार्यकाल में ए.पी. पाठक ने कई मंत्रालयों और विभागों में कार्य करते हुए पारदर्शी, सुसंगठित और मानव-केंद्रित प्रशासन की मिसाल पेश की।

उन्होंने देश के विकास कार्यक्रमों को जमीनी स्तर तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई तथा अपने गृहक्षेत्र चंपारण के इन्फ्रास्ट्रक्चर और सामाजिक विकास को नई दिशा दी।
ए.पी. पाठक का प्रशासनिक दर्शन सदैव इस विचार पर आधारित रहा “जनता से जुड़ाव ही सच्ची सेवा का आधार है।”
इसी सोच ने उन्हें एक जनप्रिय, परिणाममुखी और संवेदनशील प्रशासक के रूप में प्रतिष्ठित किया।
Societal Leadership के क्षेत्र में उन्होंने समाजसेवा को अपने जीवन का उद्देश्य बनाया।

अपनी जन्मभूमि में उन्होंने बाबु धाम ट्रस्ट की स्थापना की, जो आज शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण और युवा विकास का केंद्र बन चुका है। कोविड-19 महामारी के दौरान भी वे लगातार गरीबों, महिलाओं और वृद्धों की सहायता में अग्रणी रहे, जिससे समाज के वंचित वर्गों के जीवन में सम्मान और अवसर का संचार हुआ।

शिकागो ओपन यूनिवर्सिटी द्वारा दिया गया यह सम्मान केवल ए.पी. पाठक की व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह भारतीय लोकसेवा की उस महान परंपरा को नमन है, जो “सेवा ही सर्वोपरि” के सिद्धांत पर आधारित है। ए.पी. पाठक के अपने कर्म, समर्पण और नेतृत्व का प्रतिफल है ये शिकागो ओपन यूनिवर्सिटी द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि।

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