कटाव से किसानों की जमीन समाई, तटबंध पर मंडराने लगा खतरा

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विजय कुमार शर्मा बगहा पश्चिम चंपारण, बिहार

प्रखंड बगहा के सिंगाड़ी पिपरिया पंचायत के वार्ड संख्या 15 स्थित खैरटवा गांव में गंडक नदी का कटाव अब विकराल रूप धारण कर चुका है। नदी की तेज धार लगातार गांव की ओर बढ़ रही है और अब तक कई एकड़ उपजाऊ खेतों को लील चुकी है। किसानों की वर्षों की मेहनत से तैयार फसल और पैतृक जमीन नदी में समा गई है, जिससे उनकी आजीविका पर संकट खड़ा हो गया है।

ग्रामीणों का कहना है कि कटाव का रुख सीधे पीपी तटबंध की ओर बढ़ रहा है। वर्तमान में कटाव तटबंध से महज 500 मीटर की दूरी पर है। अगर समय रहते रोड़ी गिराने या अन्य सुरक्षात्मक कार्य नहीं किए गए तो तटबंध टूटने का खतरा उत्पन्न हो सकता है। इस स्थिति में दर्जनों गांव जलमग्न हो जाएंगे और हजारों लोगों की जान-माल पर संकट मंडरा जाएगा।

कटाव प्रभावित किसान रामशंकर ने बताया कि समस्या की जानकारी कई बार संबंधित अधिकारियों को दी गई, परंतु अब तक कोई ठोस पहल नहीं हुई। वहीं, ग्रामीणों ने बताया कि स्थानीय विधायक को भी कटाव की स्थिति से अवगत कराया गया था। विधायक ने आश्वासन तो दिया, लेकिन विभागीय स्तर पर कोई निर्णय नहीं लिया गया। इससे लोगों में भय और आक्रोश दोनों गहराता जा रहा है।

ग्रामीणों ने विभाग की उदासीनता पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्रशासन की इसी तरह की लापरवाही के कारण मधुबनी प्रखंड के नरहवा गांव का अधिकांश हिस्सा पहले ही गंडक में समा चुका है। अगर समय रहते पहल नहीं हुई, तो खैरटवा गांव समेत आसपास की बस्तियां भी उसी हालात का शिकार हो जाएंगी।

लोगों का कहना है कि नदी किनारे कटाव रोधी कार्य तुरंत प्रारंभ किया जाना चाहिए, ताकि उनकी चिंता दूर हो सके। अन्यथा, वे आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।

कुल मिलाकर, गंडक नदी का यह कटाव न सिर्फ किसानों की जमीन और रोजी-रोटी छीन रहा है, बल्कि पीपी तटबंध और हजारों ग्रामीणों की सुरक्षा पर भी गंभीर संकट बनकर मंडरा रहा है।

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