रमेश ठाकुर – पश्चिम चंपारण,बिहार
दिनांक:- 27-07-2025
बिहार विधान परिषद के सदस्य और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. संजय प्रकाश मयूख ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि वे सिर्फ मंचों के नेता नहीं, बल्कि पत्रकारों की आवाज़ को सत्ता के गलियारों तक पहुंचाने वाले जमीनी जनप्रतिनिधि हैं। बिहार सरकार द्वारा पत्रकारों की मासिक पेंशन ₹6000 से बढ़ाकर ₹15,000 किए जाने के ऐतिहासिक फैसले के पीछे जिस जनप्रतिनिधि की सबसे अहम भूमिका रही, वह कोई और नहीं, बल्कि डॉ. मयूख हैं। विधान परिषद में बोलते हुए डॉ. मयूख ने कहा था “पत्रकार लोकतंत्र का चौथा स्तंभ हैं। उनकी सेवा का मूल्य कोई सरकार नहीं चुका सकती, लेकिन सम्मानजनक पेंशन देकर उनके योगदान को मान्यता अवश्य दी जा सकती है।”

डॉ. मयूख ने ₹6000 की मौजूदा पेंशन को “अपमानजनक” करार देते हुए उसे कम से कम ₹15,000 तक करने की पुरज़ोर मांग की थी। उन्होंने पत्रकारों के लिए सुरक्षा कानून, चिकित्सा सुविधा, और सामाजिक सम्मान जैसे मुद्दों को लगातार सरकार के सामने रखा। उनके लगातार दबाव, संवाद और जनप्रतिनिधित्व के चलते बिहार सरकार ने अब पेंशन में उल्लेखनीय वृद्धि कर पत्रकारों को एक बड़ी राहत दी है।यह फैसला आर्थिक ही नहीं, बल्कि नैतिक और सामाजिक सम्मान का भी प्रतीक है। इससे पत्रकारिता जगत में उत्साह और सकारात्मक ऊर्जा का संचार हुआ है। बिहार के वरिष्ठ पत्रकारों, संपादकों और मीडिया संस्थानों ने इस फैसले का स्वागत किया है। कई वरिष्ठ पत्रकारों ने डॉ. मयूख को “पत्रकारों का सच्चा हितैषी” बताते हुए कहा कि— “जब पत्रकारिता संकट के दौर से गुजर रही है, ऐसे समय में डॉ. मयूख जैसे नेता लोकतंत्र की आत्मा को संबल देने का काम कर रहे हैं।”यह निर्णय स्पष्ट संकेत देता है कि अब पत्रकारों की अनदेखी नहीं की जा सकती। यह पहल अन्य राज्यों के लिए भी एक प्रेरणा बन सकती है।