भूमाफियाओं की वजह बना पारिवारिक कलह, प्रशासन से लगाई गुहार – जावेद

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विजय कुमार शर्मा बगहा पश्चिम चंपारण, बिहार

बगहा क्षेत्र में भूमाफियाओ के आतंक से बढ़ता जा रहा पारिवारिक कलह। जिसको लेकर भू माफिया दबे कुचले गरीब शोषित लोगों को अपने जाल में फंसाकर पारिवारिक रिश्तों में कलह बनकर बर्बाद कर रहे हैं। ऐसे में इन भू माफियों को चिन्हित करते हुए पुलिसिया कार्रवाई होनी चाहिए। यह सारी बातें बगहा निवासी राजद पार्टी के नेता प्रदेश महासचिव जावेद अली अख्तर ने अपने निवास पर प्रेस को संबोधित कर जानकारियां दी। उन्होंने बताया कि मेरी मां सदरुन नेशा ने जमीन हड़पने का आरोप लगाते हुए हमारे ऊपर एफआईआर दर्ज किया था। जिसको भू माफिया अपने जालसाज में लेकर यह कुकृत्य घटना को अंजाम कराया है। जिसने जाहिर किया है कि भूमाफिया उनकी जमीन को हड़पना चाहते है। साथ ही कहा कि मेरी माँ सदरून नेशा जिसको माँ कहते हुए हमें शर्म आ रही है जिसने बगहा शास्त्रीनगर के एक अधिवक्ता और चर्चित भू-माफिया और कई केस में चार्जशीटेड अभियुक्त एवं रतनमाला निवासी अपने मित्र कैयूम अंसारी के दबाव में आकर मुझपर बिल्कुल झुठा, बनगढंत आरोप लगाया है, जिस के सत्यता की मैं चैलेंजज करता हूं। जो मेरे ऊपर लगाया गया आरोप बेबुनियाद है। इस मामले में प्रशासन से निष्पक्ष जांच करते हुए अपनी मां सदरुल नेसा एवं भू माफिया कयूम अंसारी पर कार्रवाई की मांग किया है। उनका कहना है कि ये वही सदरून नेशा है जो जीवनभर अपने ससुर डोमा मियां को प्रताड़ित करती रही। जबकि डोमा मियां की पत्नी यानी सदरून नेशा की सास की मृत्यु बहुत पहले ही हो चुकी थी और डोमा मियां के एकमात्र पुत्र हैदर अली के अलावे इस दुनिया में उनका कोई नहीं था। लेकिन सदरून नेशा के प्रताड़ना के कारण डोमा मियां कभी अपने पुत्र के साथ नहीं रहे और वर्ष 1984 में अपने एकमात्र पुत्र व एकमात्र पौत्र के वियोग में तड़प-तड़प कर मर गये। वहीं जावेद अख्तर ने आरोपी लगाया है कि जालसाज और शैतान सदरून नेशा जो पति के मृत्यु के तुरंत घर में रखे हुए लाखों रूपये नगद व पति हैदर अली के पंजाब नेशनल बैंक बगहा, सेन्ट्रल बैंक बगहा तथा स्टेट बैंक बगहा बाजार शाख में जामा लाखों-लाख रूपये निकाल कर अपने सास की किमती गहनें, पति और ससुर के लाखों लाख रूपये के सोन-चाँदी के सिक्के लेकर बेटियों के साथ शास्त्रीनगर घर से भाग गई। जिस का एक मुकदमा C-158/22 बगहा न्यायालय में चल रहा है साथ ही सदरून नेशा जो सरकारी भूमि को अपनी खरीदी हुई भूमि बताकर अपनी बेटियों के नाम गिफ्ट करी ताकि दाखिल खारिज करने के बाद 35 वर्ष से 25 वर्ष पूर्व उनकी बेटियों वो जमीन और उस पर बना घर भू-माफियाओं को बेच दें। परन्तु इस पूरे मामले को तत्कालीन अंचल अधिकारी बगहा दो के संज्ञान में आते ही स्वयं इसकी विधिवत जाँच कर दाखिल खारिज वाद संख्या 1805/21-22 को दिनांक 30 मार्च.2022 को खारिज कर दिया। जानकारी के मुताबिक वर्ष 2013 में सदरून नेशा ने अपनी तीनों बेटियों का कटकुईया मौजा में तीन बिगहा जमीन बख्शीश कर दिया था जिस के एवज में अपने एक मात्र पौत्र फैसल जावेद को उस के जन्म दिन पर 30 अगस्त .2019 को अपने पति के आग्रह पर दो बिगहा सतरह क‌ट्ठा जमीन गिफ्ट कर दिया। जिस को कुछ और जमीन के साथ पति के मृत्यु के पश्चात् 2020 में अपने बेटियों को भी गिफ्ट कर दिया। जिस की जानकारी होने पर सदरून नेशा पर एक मुकदमा TS- 06/2022 दर्ज हुआ जो चल रहा है। पत्नी सदरून नेशा ने बगहा के सब जज प्रथम के न्यायालय में जनवरी 2023 में अपने पति स्व० हैदर अली पर यह आरोप लगाया कि मेर पति ने जीवन भर मुझे कोई खर्चा नहीं दिया और शादी के दो वर्ष बाद अपने पति से मिले मोहर दैन की पांच हजार रूपये से अब तक अपनी जिन्दगी गुजारी। विदित हो कि अपने पति के कमाई का सब से अधिक फायदा सदरून नेशा ने उठाया और जीवन भर उनके साथ रही और पति के मृत्यु के पश्चात् उनका चालीस हजार रूपया पेंशन पा रही है।

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