बड़े,बड़े शहरों से हताश व निराश कैंसर पीड़ित लौटी महिला का बगहा में मिला निजात।

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बगहा के होम्यो कैंसर सेवा अस्पताल ने फिर रचा इतिहास, फोर्थ स्टेज कैंसर की मरीज़ को दी नवजीवन की सौगात

विजय कुमार शर्मा बगहा पश्चिम चंपारण, बिहार

आधुनिक चिकित्सा विज्ञान जहां कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के उन्नत उपचार के लिए कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी जैसे जटिल उपायों पर निर्भर है, वहीं बगहा वन विकास भारती द्वारा संचालित होम्यो कैंसर सेवा अस्पताल ने एक बार फिर अपने अनूठे और प्रभावशाली होम्योपैथिक उपचार से चिकित्सा जगत में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। यह प्रेरणादायक कहानी है गोपालगंज निवासी एक महिला मरीज़ की, जिन्हें फोर्थ स्टेज कैंसर था और जिनका इलाज दिल्ली के प्रतिष्ठित अपोलो अस्पताल में चल रहा था। 16 कीमोथेरेपी सत्रों के बावजूद उनकी स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही थी। शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह टूट चुके परिजन जब हर ओर से निराश हो चुके थे, तब एक अंतिम आशा की किरण बनकर सामने आए डॉ. पदम भानु सिंह, जो कैंसर के क्षेत्र में होम्योपैथिक पद्धति से सफल इलाज के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कई बार सम्मानित हो चुके हैं।मरीज़ की हालत इतनी नाजुक थी कि उन्हें अस्पताल तक लाना भी संभव नहीं था। ऐसे में डॉ. सिंह ने अत्यंत मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए वीडियो कॉल के माध्यम से उनका मूल्यांकन किया और तुरंत इलाज की शुरुआत कर दी। होम्योपैथी की सूक्ष्म लेकिन प्रभावशाली दवाओं के जरिए सिर्फ चार महीनों में ऐसा चमत्कार हुआ कि जो महिला चलने-फिरने में भी असमर्थ थी, वह अब पूर्णतः स्वस्थ होकर अपने पैरों पर चलकर स्वयं बगहा स्थित अस्पताल में डॉ. सिंह से मिलने पहुंची।यह सिर्फ एक मरीज की चिकित्सा नहीं थी, यह एक परिवार की टूटती उम्मीदों को नया जीवन देने जैसा कार्य था। यह उपलब्धि न केवल चिकित्सा विज्ञान की सीमाओं को चुनौती देती है, बल्कि यह दर्शाती है कि होम्योपैथिक चिकित्सा प्रणाली में अभी भी अथाह संभावनाएं मौजूद हैं, विशेषकर तब जब उसका नेतृत्व ऐसे समर्पित और अनुभवी चिकित्सक कर रहे हों, जैसे कि डॉ. पदम भानु सिंह। होम्यो कैंसर सेवा अस्पताल, बगहा आज लाखों कैंसर पीड़ितों के लिए आशा का नया केंद्र बनकर उभरा है। इस संस्थान ने यह साबित कर दिया है कि यदि सही समय पर, सही दिशा में इलाज मिले, तो गंभीर से गंभीर रोग को भी मात दी जा सकती है। यह केस न केवल एक चिकित्सा चमत्कार है, बल्कि यह बगहा, बिहार ही नहीं, पूरे देश के लिए गर्व और प्रेरणा का विषय बन गया है।

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