पीले रंग की परिधानों सजकर सुहागिनों ने की वटवृक्ष की पूजा।
वाल्मीकिनगर से अभिमन्यु गुप्ता की रिपोर्ट

वाल्मीकिनगर थाना क्षेत्र के तीन आर डी पुल स्थित चंदेश्वर महाशिव मंदिर परिसर में सोमवार को वट सावित्री व्रत की धूम देखने को मिला। सुहागिन महिलाओं ने अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए वट सावित्री का व्रत रख वट वृक्ष की पूजा करती देखी गई। प्रत्येक बार यह व्रत जेस्ठ महीने की अमावस्या को मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है,कि इस दिन सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण वापस लौटाने के लिए यमराज को विवश कर दिया था। इस बाबत पंडित रामेश्वर मिश्रा ने बताया कि इस दिन वट वृक्ष का पूजन कर सावित्री सत्यवान की कथा को याद करना चाहिए।
पूजा की विधि- शादीशुदा महिलाएं स्नान कर लाल या पीला वस्त्र पहनकर वट वृक्ष के नीचे जाकर परिक्रमा करती है।और पेड़ में रक्षा धागा कुलपति है।तथा सावित्री सत्यवान की मूर्ति रख पूजा करती है। इसके बाद फल,फूल,अक्षत,गुड़, चना जैसे पूजन सामग्री से पूजा कर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती है।
वट वृक्ष पूजन का कारण- इस बाबत व्रत में बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार इस पेड़ में सभी देवी देवताओं का वास होता है। इसीलिए बरगद के पेड़ की आराधना करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता सावित्री अपने पति के प्राणों को यमराज से छुड़ाकर वापस ले आई थी। और वट वृक्ष की पूजा की थी। इसलिए इस व्रत का विशेष महत्व माना जाता है।