गोपालगंज जिला में आज हर ईदगाहों और मस्जिदों में ईद-उल-अज़हा (बक़रीद ) की नमाज़ अदा की गई

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  गोपालगंज बिहार से जमीरुल हक की रिपोर्ट

एंकर :- आज पूरे मुल्क में मुस्लिम समाज के सभी लोग के दिन ईद-उल-अज़हा यानी बक़रीद की नमाज़ अदा की गई। इस कड़ी में गोपालगंज जिला के मुस्लिम समाज के सभी लोग भी सभी ईदगाहों और मस्जिदों में ईद-उल-अज़हा यानी बक़रीद की नमाज़ अदा की। नमाज़ अदा करने के बाद सभी लोग एक दूसरे से गले मिले और एक दूसरे को मुबारक बाद दिए । आपको बता पैगंबर हज़रत इब्राहीम ने अपने खाब यानी सपना में देखा की अल्लाह-त-आला ने हजरत इब्राहिम से कहा कि ”ऐ इब्राहिम तुम्हें जो दुनिया में जो सबसे अजीज है उसे मेरी राह में कुर्बान करो”। अल्लाह-त-आला की इस बात पर अमल करने के लिए हजरत इब्राहिम ने तुरंत अपने इकलौते पुत्र हजरत इस्माइल अलै. को अल्लाह की राह में कुर्बान करने का फैसला किया। अपनी आंखों पर पंट्टी बांध कर बेटे को कुर्बानी के लिए जमीन पर लिटा दिया और बेटे इस्माइल के गर्दन पर छुरी फेरने लगे। काफी प्रयास के बाद भी छुरी गर्दन पर नहीं चल रही थी। इसी बीच अचानक छुरी चली और जब आंखों से पंट्टी हटाकर देखा तो हजरत इस्माइल के स्थान पर दुंबा (भेड़) जबह हुआ था। यह देख हजरत इब्राहिम सोचने लगे, कि मैं अपने बेटे की गर्दन पर छुरी फेर रहा था और छुरी दुंबे (भेड़ ) पर छुरी चल गई। इसी बीच आसमान से आवाज आई ”ऐ इब्राहिम तुम मेरे इम्तिहान में पास हो गए”। इसलिए कि मेरे हुक्म पर तुम अपने बेटे इस्माइल को मेरी राह में कुर्बानी को तैयार हो गए। बकरीद पर्व इसी सुन्नते इब्राहिमी की याद को ताजा करता है। इस्लामिक महीना के आखरी महीना जिल हिजा की 10 तारीख़ को ये पर्व मनाई जाती है। इस पर्व में मुस्लिम समाज के लोग ईदगाहों और मस्जिदों में नमाज़ अदा करने के बाद बकरा और भेड़ की कुर्बानी देते है। और उसका गोस्त अपने समाज मे एक दूसरे में बाटते है।

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