वाल्मीकि नगर से अभिमन्यु गुप्ता की रिपोर्ट

गंगा दशहरा के अवसर पर भारत-नेपाल सीमा पर स्थित पावन नारायणी गंडकी के तट पर गुरुवार की अहले सुबह से ही श्रद्धालुओं का ताता लगा रहा। श्रद्धालुओं ने नारायणी के विभिन्न घाटों-कालीघाट,त्रिवेणी घाट,सोनभद्र घाट,लवकुश घाट, बेलवा घाट आदि घाटो पर स्नान किया। एवं दान कर स्वयं कृतार्थ किया। विशेष रुप से थरूहट सीमावर्ती उत्तर-प्रदेश एवं बिहार के पश्चिमी चंपारण,पूर्वी चंपारण के श्रद्धालुओं को भारी उपस्थिति देखी गई। महिलाओं की अच्छी खासी भागीदारी देखी गई।लवकुश घाट पर लगे मेले में भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई। लव-कुश घाट स्थित राधे कृष्ण मंदिर एवं शिव मंदिर में इस अवसर पर 24 घंटे का अष्टयाम एवं भंडारे का आयोजन किया गया है। पुरोहित रामचंद्र दास,नंद लाल दास एवं दीक्षित नारायण दास ने बताया कि गंगा दशहरा का विशेष महत्व है।
इस दिन का महत्व इस रूप में बढ़ जाता है,कि इसी दिन मां गंगा ब्रह्मा जी के कमंडल से निकालकर पृथ्वी पर आई थी। ऐसी पौराणिक मान्यता है, कि इस दिन गंगा स्नान करने से मोक्क्ष की प्राप्ति होती है।
इस दिन दस की संख्या में वस्तुओं का दान करना शुभ माना जाता है। दस पापों से छुटकारा मिलता है। इसी कारण इसे गंगा दशहरा के नाम से जाना जाता है। उन्होंने आगे बताया कि दिन जातक को भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए एकादशी व्रत करना चाहिए। और उन्हें अनार, खरबूजा,आम,जल भरी सुराही, हाथ का पंखा आदि दान करना चाहिए।