विजय कुमार शर्मा बगहा पश्चिम चंपारण, बिहार
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व से एक भूरे रंग का उल्लू भटककर रियासी क्षेत्र में पहुंच गया। इस वन्यजीव संरक्षित क्षेत्र से आए उल्लू को स्थानीय बच्चों ने देखा और पकड़ लिया। बच्चों ने इस उल्लू के साथ छेड़छाड़ करने के बजाय उसे सुरक्षित ऊंचे स्थान पर रखने का निर्णय लिया। समाचार के मुताबिक बगहा नगर के वार्ड नंबर 12 नरईपुर बटेसरा स्थान समीप सड़क पर रविवार को अहले सुबह टहलते बच्चों ने उल्लू को पकड़कर आसपास के बरगद के पेड़ पर छोड़ दिया।बच्चों का उद्देश्य था कि उल्लू अपने प्राकृतिक आवास की ओर लौट सके। यह घटना दर्शाती है कि वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के आसपास के क्षेत्रों में वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। वीटीआर द्वारा चलाए जा रहे जागरूकता अभियानों का क्षेत्रों में सकारात्मक प्रभाव दिख रहा है।वही इस उल्लू के बारे जानकारी प्राप्त करने पर पता चला कि ये भूरे रंग का उल्लू को बूबूक या हॉक-उल्लू बोलते हैं।यह उल्लू दक्षिण एशिया में व्यापक रूप से पाया जाता है, जिसमें भारत, श्रीलंका, भूटान, बांग्लादेश और नेपाल शामिल हैं। इसके अलावा, यह पूर्व में पश्चिमी इंडोनेशिया और दक्षिण चीन तक भी पाया जाता है।ये उल्लू मांसाहारी होते हैं और आमतौर पर रात में शिकार करते हैं। उनका आहार छोटे जानवरों, जैसे कि चूहे, छिपकली और कीड़े, से लेकर बड़े शिकार तक हो सकता है।