विजय कुमारशर्मा – बगहा पश्चिम चंपारण,बिहार
दिनांक:- 06-07-2025
हरिशयनी एकादशी और गुप्त नवरात्रि के समापन अवसर पर नैतिक जागरण मंच वेलफेयर ट्रस्ट के तत्वावधान में रविवार को बगहा-1 के सिद्धपीठ चंडी स्थान रतनमाला परिसर में विशेष हरिशंकर पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। शुभ मुहूर्त में शक्ति पूजन, भूमि पूजन और हरिशंकर त्रिवेणी वृक्ष (पाकड़, पीपल, बरगद) का विधिवत रोपण किया गया। इस अवसर पर जनकल्याण और पर्यावरण संरक्षण की कामना की गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कमांडेंट तपेश्वर संबित राउत (21वीं वाहिनी एसएसबी) रहे। कार्यक्रम की शुरुआत पुरोहित सुबोध मिश्रा (गांधीनगर) के वैदिक मंत्रोच्चार से हुई, जिन्होंने कमांडेंट राउत समेत श्रद्धालुओं के हाथ में फूल और अक्षत देकर मां चंडी की आराधना करवाई। इसके उपरांत विधिवत पौधों की पूजा एवं भूमि पूजन कराया गया।

हरिशंकर पौधारोपण के प्रतीकात्मक रूप में पुरोहित को दक्षिणा स्वरूप तेजपत्ता का पौधा भेंट किया गया। मंदिर के प्रधान पुजारी उमेश मिश्रा ने मुख्य अतिथि को मां चंडी की चुनरी देकर आशीर्वाद प्रदान किया। उपस्थित श्रद्धालुओं ने मिलकर हरिशंकर बीच के पौधों का रोपण किया।पौधारोपण के उपरांत पौधा वितरण भी किया गया। स्थानीय जागरूक नागरिक जगन्नाथ साह को पौधों की देखरेख हेतु तेजपत्ता का पौधा सौंपा गया और उनकी सहायता के लिए मच्छरदानी की जाली आदि लगाने हेतु आर्थिक सहयोग भी प्रदान किया गया।

इस अवसर पर ट्रस्ट के अध्यक्ष अरुण कुमार सिंह, उपाध्यक्ष अरविंद कुमार सिंह, महिला पदाधिकारी शशि पांडेय, समन्वयक माधवेंद्र पांडेय, जयप्रकाश श्रीवास्तव, गिरींद्र पांडेय, संजय तिवारी, देव निरंजन दीक्षित, राकेश तिवारी, पवन गुप्ता, नागेन्द्र उपाध्याय, अभय पांडेय, रमन मिश्र सहित कई अन्य सदस्य उपस्थित रहे। कार्यक्रम में बोलते हुए सचिव निप्पू कुमार पाठक ने कहा, “हरिशयनी एकादशी के दिन पीपल में भगवान विष्णु, बट में भगवान शिव और पाकड़ में ब्रह्मा का वास माना जाता है। इन तीनों का एक साथ रोपण अत्यंत फलदायी और शुभ होता है।”

मुख्य अतिथि कमांडेंट राउत ने आयोजन को अत्यंत प्रेरणादायक बताया और कहा, “नीप्पू जी की पहल के कारण मुझे भी इस पुण्य कार्य का हिस्सा बनने का अवसर मिला। यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है।”कार्यक्रम के अंत में मां चंडी को अर्पित प्रसाद का वितरण किया गया। साथ ही नागेंद्र उपाध्याय को मलेशियन सखुआ तथा मैनेजर कुशवाहा को नाशपाती का पौधा समर्पित किया गया।

स्थानीय लोगों की भागीदारी और ट्रस्ट के संयोजन से यह आयोजन श्रद्धा, प्रकृति प्रेम और सामाजिक समर्पण का अद्भुत उदाहरण बन गया।