रमेश ठाकुर
रामनगर – नरकटियागंज प०चम्पारण (बिहार)
24-12-2025
रामनगर प्रखंड के इनारबरवा गांव निवासी राजू सिंह के जीवन में एक समय ऐसा आया, जब हर सांस के साथ उम्मीदें टूटती नजर आ रही थीं। अचानक उनकी तबीयत बेहद नाजुक हो गई और परिजन उन्हें बेहतर इलाज के लिए दिल्ली के एक नामी अस्पताल लेकर पहुंचे। डॉक्टरों ने सर्जरी के दौरान तत्काल चार यूनिट रक्त की आवश्यकता बताई, लेकिन अस्पताल में डोनर उपलब्ध न होने के कारण स्थिति और भी चिंताजनक हो गई।
समय तेजी से निकल रहा था और संकट गहराता जा रहा था। ऐसे कठिन क्षण में एपी पाठक फरिश्ता बनकर सामने आए। उन्होंने भारत सरकार के तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव से सीधे संपर्क कर विशेष पहल की, जिसके बाद बिना देर किए आवश्यक रक्त की व्यवस्था हो सकी। परिणामस्वरूप राजू सिंह की सर्जरी सफल रही और आज वे पूरी तरह स्वस्थ जीवन जी रहे हैं।
इस अनुभव को याद करते हुए राजू सिंह भावुक हो उठते हैं। उनका कहना है—
“मेरी जिंदगी एपी पाठक जी की वजह से बच पाई। अगर उस समय उन्होंने मदद न की होती, तो शायद मैं आज यहां नहीं होता।”
यह घटना एपी पाठक की सेवा भावना की केवल एक झलक भर है। स्वास्थ्य और मानव सेवा के क्षेत्र में उनका योगदान चंपारण से निकलकर पूरे क्षेत्र में मिसाल बन चुका है। जरूरतमंद मरीजों को एम्स दिल्ली, एसजीपीजीआई लखनऊ, गोरखपुर और वाराणसी जैसे बड़े चिकित्सा संस्थानों तक इलाज दिलाने में वे वर्षों से सक्रिय भूमिका निभाते आ रहे हैं।
दिव्यांगजनों की परेशानियों को समझते हुए एपी पाठक ने विकलांगता प्रमाण पत्र की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय से समन्वय किया, जिसके बाद प्रखंड और अनुमंडल स्तर पर प्रमाण पत्र निर्माण की सुविधा शुरू हुई। इससे देशभर के लाखों दिव्यांगों को सीधा लाभ मिला।
बाबु धाम ट्रस्ट के माध्यम से वे चंपारण अंचल में नियमित रूप से मेडिकल कैंप आयोजित कराते हैं, जहां गरीबों को मुफ्त जांच, इलाज और नेत्र ऑपरेशन जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। नवजात शिशुओं की सुरक्षा को लेकर उन्होंने हजारों विटामिन-के इंजेक्शन विभिन्न अस्पतालों को उपलब्ध कराए, जिससे शिशु मृत्यु दर को कम करने में सहयोग मिला।
इसके अलावा मिशन इंद्रधनुष के अंतर्गत बच्चों के टीकाकरण अभियान में भी एपी पाठक की भागीदारी उल्लेखनीय रही है।
प्रशासनिक अनुभव, संवेदनशील सोच और निस्वार्थ सेवा का संगम बने एपी पाठक आज चंपारण की धरती पर उम्मीद, विश्वास और मानवता का प्रतीक बन चुके हैं।






