विजय कुमार शर्मा बगहा पश्चिम चंपारण, बिहार
मधुबनी, पूर्व प्राचार्य पं०भरत उपाध्याय ने कहा कि गर्व है ऐसे गुरु भक्त शिष्यों पर ! आज ठाकुर रामाधार सिंह पिपरपातीं मधुबनी के निवास पर नित्यानंद महाराज को आशीर्वाद देने का मौका मिला।
वर्तमान समय में शिष्य ही अपने गुरु का गुरु बनने को उतावला हैं ,गुरु को पदच्युत कर स्वयं पदस्थापित होना चाहते हैं। ऐसे विषम समय में भी कुछ ऐसे विनम्र ,संस्कारी और सफल शिष्य मिल जाते हैं। जिनके विनीत व्यवहार देखकर गुरु भावविभोर हो जाते हैं तथा गुरु का अनायास ही हाथ आशीर्वाद देने के लिए उठ जाता है।उस समय गुरु की स्थिति अपने लहलहाते फसल को देखकर खुशी से झुमते हुए किसान की तरह होता है।
वास्तव में किसी भी व्यक्ति का स्वभाव या व्यवहार या संस्कार उसके माता-पिता के सद्गुणों से संचालित होता है ।जो संस्कार माता-पिता अपने बच्चों को देते हैं ।वही संस्कार बच्चे ग्रहण कर लेते हैं।
कोई भी व्यक्ति किसी का स्थान नहीं ले सकता। अगर आपको बड़ा बनना है तो विनम्र बनना ही पड़ेगा । दुष्टता का त्याग करना ही पड़ेगा।
बातों से ऐसा लगा कि जैसे मानो की शिष्य दिल ही निकाल लेगा। ऐसे संस्कार उच्च अभिभावक के संस्कारों के प्रतिफल हैं। *






