विजय कुमार शर्मा बगहा पश्चिम चंपारण, बिहार
पूर्व प्राचार्य पं०भरत उपाध्याय गुरु जी ने प्राकृतिक छठ महापर्व पर विभिन्न घाटों का भ्रमण कर बताया कि -नितांत कोमल प्रतीकों में से एक, केले की कोंपलों पर विश्व के सबसे प्रखर तेज-पुंज का प्राकाट्य सिर्फ़ अकाट्य आस्था की शक्ति से ही संभव है। आज प्रात:अर्घ्य के साथ आदिदेव आदित्य की आराधना संपन्न हुई। छठ का कठोर व्रत करने वाली माताओं को आज कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। जब व्रती माताएं भोर में भगवान भास्कर को अर्घ्य की तैयारी में थीं, तो इंद्र देवता का प्रकोप शुरू हो गया। पहली बार मैंने देखा कि, छठ पर्व पर छाता लगाकर व्रतियों को पूजा करना पड़ा। अचानक आई वर्षा ने घाट से घर तक व्रतियों को संकट में डाल दिया था।






