छठ घाटों पर उमड़ा आस्था का जन सैलाब।
अनिल कुमार शर्मा मझौलिया पश्चिम चंपारण, बिहार
कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से आरंभ होकर सप्तमी को उगते हुए सूर्य को अर्घ देने के साथ इस पर्व का मझौलिया प्रखंड में समापन हुआ। छठ पर्व सूर्य उपासना और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक माना जाता है। व्रती महिलाएँ कठोर नियमों और संयम का पालन करते हुए परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की दीर्घायु की कामना करती हैं। पर्व के पहले दिन ‘नहाय-खाय’ से इसकी शुरुआत होती है, दूसरे दिन ‘खरना’ का आयोजन होता है, जिसमें व्रती निर्जला उपवास से पूर्व गुड़-चावल की खीर का प्रसाद ग्रहण करती हैं। तीसरे दिन संध्या अर्घ के अवसर पर श्रद्धालु अस्त होते सूर्य को अर्घ अर्पित करते हैं, जबकि चौथे दिन प्रातःकाल उगते हुए सूर्य को अर्घ देने के साथ व्रत संपन्न होता है।

इस अवसर पर घाटों, नदियों और तालाबों पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। श्रद्धालुओं ने पारंपरिक गीतों और भजनों के माध्यम से छठी मइया और सूर्य देव की आराधना की। पूरा वातावरण भक्ति और आस्था से सराबोर रहा। घाटों की सुंदर सजावट और दीपों की रोशनी से दृश्य मनमोहक बन गया। मझौलिया
थाना अध्यक्ष अवनीश कुमार, प्रखंड विकास पदाधिकारी डॉ. राजीव रंजन कुमार, सीओ राजीव रंजन पर्व को लेकर पूरी तरह मुस्तैद एवं अलर्ट रहे तथा छठ घाटों की सुरक्षा को लेकर बराबर मॉनिटरिंग करते दिखे गए ।

छठ पूजा समिति द्वारा स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया गया था। साफ-सफाई, बिजली, जलापूर्ति और यातायात व्यवस्था को सुनिश्चित करने में प्रशासन सक्रिय रहा। जगह-जगह कंट्रोल रूम बनाए गए ताकि किसी भी आपात स्थिति से तुरंत निपटा जा सके। प्रशासन की सतर्कता और श्रद्धालुओं की आस्था के संगम से यह चार दिवसीय छठ पर्व शांतिपूर्ण और सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।इधर मझौलिया प्रखंड के सेनुअरिया स्थित कबलैया छठ घाट पर आस्था श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला। छठ व्रतियों ने पूरे विधि-विधान और श्रद्धा के साथ डूबते हुए एवं उगते हुए भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित किया।

घाट पर “छठ मइया के जयकारे” से वातावरण गुंजायमान हो उठा। महिलाएँ पारंपरिक वेशभूषा में सिर पर सुप लेकर जल में खड़ी रहीं और अपने परिवार व समाज की सुख-समृद्धि की कामना की।पंचायत की मुखिया ज्योति श्रीवास्तव एवं उनके पति रिंकू श्रीवास्तव ने भी अपने परिवार सहित घाट पर पहुँचकर पूजा-अर्चना में भाग लिया। मुखिया ज्योति श्रीवास्तव ने बताया कि छठ पर्व बिहार की आस्था और संस्कृति का प्रतीक है, जो सूर्य उपासना का सबसे पवित्र पर्व माना जाता है। यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पर्यावरण और समाज में शुद्धता, अनुशासन और एकता का संदेश भी देता है।

उन्होंने कहा कि छठ व्रत में दिखने वाली स्वच्छता, सामूहिकता और नारी शक्ति की भूमिका हमारे समाज के लिए प्रेरणादायक है।उन्होंने आगे बताया कि छठ पर्व में व्रती महिलाएँ 36 घंटे का निर्जला उपवास रखकर सूर्य देव और छठ मइया की पूजा करती हैं। यह पर्व चार दिनों तक मनाया जाता है नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य। कबलैया घाट पर स्थानीय युवाओं और ग्रामीणों ने सफाई और व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।छठ घाट दीपों की रोशनी और भक्ति गीतों से आलोकित हो उठा।

महिलाओं ने अपने घर-परिवार की मंगलकामना करते हुए अर्घ्य दिया। श्रद्धालुओं ने इसे सामाजिक एकता और लोक संस्कृति के उत्सव के रूप में मनाया।मुखिया ज्योति श्रीवास्तव पति रिंकू श्रीवास्तव ने कहा कि इस पर्व का मतलब है — आस्था, अनुशासन और प्रकृति के प्रति सम्मान। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे अपनी संस्कृति और परंपरा को बनाए रखें, क्योंकि यही हमारी पहचान है। इस अवसर पर गाँव के कई गणमान्य व्यक्ति एवं बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे।






