मोबाइल फोन की भूमिका मित्र की है, गुरु की नहीं!- पं-भरत उपाध्याय

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विजय कुमार शर्मा बगहा पश्चिम चंपारण, बिहार


बगहा अनुमंडल अंतर्गत मधुबनी प्रखंड स्थित राजकीय कृत हरदेव प्रसाद इंटरमीडिएट कॉलेज के पूर्व प्राचार्य पं०भरत उपाध्याय ने राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय बगहवा में गुरु गोष्ठी में बोलते हुए कहा कि – बदलते परिवेश में मोबाइल फोन मानव जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। हर उम्र के लोगों के लिए आवश्यक हो गया है। युवा पीढ़ी की फोन पर निर्भरता बढ़ गई है। इंटरनेट और गूगल ने इसकी उपयोगिता को और बढ़ा दिया है। विद्यार्थी आनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं और गूगल सर्च के माध्यम से ज्ञान बढ़ा रहे हैं। हालांकि,कई बार गूगल द्वारा दी गई जानकारी गलत भी साबित हो जाती है। अतः छात्रों को मोबाइल फोन को केवल मित्र ही समझना चाहिए! गुरु नहीं!
आज हर घर में बड़ी सहजता से मोबाइल फोन अपना वर्चस्व बना लिया है। बहुत तेजी से इसका परिणाम और दुष्परिणाम समाजको प्रभावित कर रहा। ऐसे में प्रबुद्धजन की भूमिका अहम हो गई है।आप सभी मोबाइल फोन की गुणवत्ता एवं इसके दुष्परिणाम को समाज में प्रस्तुत करें।साथ ही बच्चों को इससे दूर रहने की सलाह दें। इस सन्दर्भ में कुमार विश्वास का कहना है कि –


अपनी इच्छाओं को सीमाओं में बांधे रखो। वरना ये शौक गुनाहों में बदल जाते हैं।


गुरु जी ने आगे बताया कि,किसी भी आदत में सुधार के लिए मात्र बदलाव की इच्छा पर्याप्त नहीं होती ,बल्कि उसके प्रति प्रतिबद्धता भी जरूरी है। छोटे व्यावहारिक प्रयास और निरंतरता ,आदत में बदलाव लाने की कुंजी है। हमारा लक्ष्य न केवल आदत और दिनचर्या में परिवर्तन लाना होना चाहिए, बल्कि आत्मविश्वास और स्वयं पर नियंत्रण की भावना का निर्माण करना भी होना चाहिए। माता-पिता को यह समझने की जरूरत है कि सहानुभूतिऔर निरंतर संवाद नियंत्रण या डांट फटकार से अधिक प्रभावी होता है। आदत में सुधार करने की सलाह देने से अच्छा है कि अपने बच्चों की कोशिश में सहयोगी बनें।
अंत में यूनिसेफ बीएमसी संतोष सिंह राठौर ने HPv सर्वाइकल कैंसर से बचाव का टीकाकरण के लिए विद्यालय के सौ बेटियों का चयन किया।
इस गोष्ठी में प्रधानाचार्य विपिन गुप्ता,गोरख यादव, देवेंद्र यादव, दिनेश कुमार गुप्ता,नेहा सहित सभी शिक्षक कर्मचारीयों ने भाग लिया।

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