वाल्मीकि नगर से नंदलाल पटेल की रिपोर्ट
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के घने जंगलों के बीच स्थित मां नरदेवी मंदिर की महिमा अपरंपार मानी जाती है। नारदेवी मंदिर साल भर श्रद्धालुओं से भरा रहता है, लेकिन नवरात्र में यहां विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन होता है। मान्यता है कि मां नरदेवी के दर्शन मात्र से ही भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। ऐतिहासिक नरदेवी मंदिर की स्थापना के पीछे एक रोचक कहानी प्रचलित है। पुरानी मान्यताओं के अनुसार, बुंदेलखंड के वीर राजा अल्लाह और ऊदल यहां आकर मां की आराधना किया करते थे। कहा जाता है कि ऊदल पूजा के बाद बलि स्वरूप अपना सिर अर्पित कर देते थे, और चमत्कारिक रूप से उनका सिर पुनः जुड़ जाता था। चूंकि इस स्थल पर नर की बलि दी जाती थी, इसलिए इसे नरदेवी के नाम से जाना जाने लगा। मां नर देवी अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करतीं। यहां के जंगलों में बाघ, भालू और जंगली सूअर जैसे जानवर आते हैं, लेकिन आज तक किसी श्रद्धालु के साथ कोई अनहोनी नहीं हुई। मां की इस कृपा से ही मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैली है। मां नरदेवी की आस्था इतनी प्रबल है कि उत्तर प्रदेश, नेपाल और बिहार के विभिन्न जिलों से भक्त यहां दर्शन करने आते हैं। नेपाल से आए कृष्णा और मिलन थापा का कहना है कि मां के दर्शन मात्र से उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। इसलिए वे हर साल यहां पूजा करने पहुंचते हैं। स्थानीय श्रद्धालु राहुल श्रीवास्तव बताते हैं कि मंदिर परिसर में स्थित एक प्राचीन कुएं का पानी असाध्य रोगों को दूर करने की शक्ति रखता है। लोग आस्था से इस जल का सेवन करते हैं और स्वस्थ लाभ पाते हैं।