जलवायु परिवर्तन का वैदिक समाधान: गुरु वशिष्ठ की नई पुस्तक प्रकाशित

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जलवायु परिवर्तन न्यूनीकरण का ज्ञान: स्वा: स्वधा यज्ञ विज्ञान

वाल्मीकि नगर से नंदलाल पटेल की रिपोर्ट

बढ़ते जलवायु संकट और वैश्विक उष्मीकरण से जूझ रही दुनिया के लिए नेपाल से एक नई पहल सामने आई है। वैज्ञानिक गुरु वशिष्ठ उर्फ श्याम सुंदर भट्टराई की नई पुस्तक जलवायु परिवर्तन का समाधान का प्रकाशन हाल ही में हुआ है। यह पुस्तक जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए, वैदिक यज्ञ, योग, कृषि और ऊर्जा संरक्षण को आधुनिक विज्ञान के साथ जोड़कर समाधान प्रस्तुत करती है। लेखक ने इसमें स्पष्ट किया है कि आधुनिक विज्ञान और वैदिक सनातन परंपरा का संगम ही पर्यावरण संकट का स्थाई समाधान दे सकता है। पुस्तक में बताया गया है कि यज्ञ, योग और वैदिक जीवन पद्धति से न केवल वायुमंडल शुद्ध होता है, बल्कि मानव जीवन की आयु बढ़ती है तथा विभिन्न बीमारियों में भी कमी आती है । पुस्तक में नेपाल की भूमिका को भी विशेष रूप से रेखांकित किया गया है। लेखक का कहना है कि हिमावत खंड पाल के रूप में जानी जाने वाली यह भूमि प्राचीन काल से ही विश्व रक्षक और योग भूमि रही है। गुरु शिष्य परंपरा, वशिष्ठ अरुंधति का आदर्श और पूर्णिमा के दिन यज्ञ एवं पर्यावरण संरक्षण की परंपरा को पुस्तक में महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। पर्यावरणविदों का मानना है कि यह कृति आधुनिक समय में जलवायु परिवर्तन जैसे गंभीर मुद्दे पर एक नया दृष्टिकोण प्रदान करती है । यह केवल वैज्ञानिक ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण योगदान है। संत गुरु वशिष्ठ जी महाराज ने बताया कि आदि प्रयाग देवघाट धाम नेपाल के विकास हेतु वे सतत् प्रयत्नशील हैं। बिहार के पूर्व पुलिस अधीक्षक आनंद कुमार सिंह ने कहा कि सोशल साइट द्वारा मुझे इस पुस्तक को पढ़ने का मौका मिला है।पुस्तक की समीक्षा करते हुए उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन एक गंभीर विषय है।इस संकट से पूरा विश्व जूझ रहा है। आदि प्रयाग देवघाट धाम नेपाल के प्रमुख संरक्षक वैज्ञानिक गुरु वशिष्ठ ने बताया कि संस्थापक अध्यक्ष डॉ. नारायण आचार्य (देव बाबा), कोषाध्यक्ष इंजीनियर राम भक्त बाडे , सचिव केशव संजेल आदि विशिष्ट व्यक्तित्व की जितनी भी तारीफ की जाए कम है । जिन्होंने इस पुस्तक लेखन में अति सराहनीय सहयोग प्रदान किया है। बिहार के साहित्यकार एवं लेखक सच्चिदानंद सौरभ ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग खतरे की घंटी बजा रही है ।ऐसे में बढ़ते जलवायु संकट पर सबको एकजुट होकर काम करना होगा। समाजसेवी संगीत आनंद ने बताया कि लेखक ने इस पुस्तक में सारगर्भित तथ्यों का उल्लेख किया है। इस पुस्तक का मुद्रण लक्ष्मी आर्ट एंड प्रेस कोटेश्वर नेपाल से किया गया है। इस पुस्तक का प्रकाशन नेपाली और अंग्रेजी दो भाषाओं में किया गया है। पुस्तक की लोकप्रियता को देखते हुए इस पुस्तक का हिंदी रूपांतरण लेखक डी .आनंद द्वारा कराया जा रहा है। विदित हो कि अंतर्राष्ट्रीय न्यास स्वरांजलि सेवा संस्थान द्वारा भारत नेपाल सीमा पर विगत 6 नवंबर 2014 से पर्यावरण संरक्षण संवर्धन के प्रति जन जागरूकता फैलाने हेतु हर महीने की पूर्णिमा तिथि को नारायणी गंडकी महा आरती कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है । दैनिक चलंत दरिद्र नारायण भोज का आयोजन भी होता है। जिससे लावारिस दिव्यांगजन एवं जरूरतमंद लाभान्वित होते हैं। इन सामाजिक और आध्यात्मिक कार्यक्रमों में भी धर्मपाल गुरु वशिष्ठ जी महाराज महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करते हैं। संस्था के संरक्षक मंडल में लेखक गुरु वशिष्ठ शामिल हैं ।बिहार के ज्योतिषी प्रमोद कुमार चौबे ने कहा कि लेखक का यह कहना सत्य है कि यज्ञ और हवन द्वारा पर्यावरण को शुद्ध और साफ बनाया जा सकता है।

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