रमेश ठाकुर – पश्चिम चंपारण,बिहार
दिनांक:- 14-09-2025
सरिसवा बाज़ार के पास स्थित जामिया इस्लामिया कुरआनिया सेमरा मदरसा, जिसे सेमरा घाट मदरसा के नाम से भी जाना जाता है, बीते कई सालों से अधूरा पड़ा हुआ है। करीब 15-20 साल पहले लड़कियों के लिए आवासीय मदरसा दारुलबनात के रूप में इसकी नींव रखी गई थी, लेकिन आपसी मतभेदों के कारण निर्माण कार्य बीच में ही रुक गया। आज यह इमारत धीरे-धीरे खंडहर में बदल रही है।अब्दुल वाहिद उर्फ झुन्ना मियां इस मदरसे से शुरू से ही जुड़े हैं और अब उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे आगे आकर इसे पूरा कराने में सहयोग दें।
लड़कियों की तालीम के लिए बना था मदरसा
करीब चार बीघा ज़मीन पर बने इस मदरसे में 78 कमरे तैयार किए गए हैं। हर कमरे का आकार 12×14 और 14×16 है। मदरसा पूरा हो जाने पर यहां हजारों मुस्लिम लड़कियां रहकर तालीम और तरबियत हासिल कर सकेंगी। अब्दुल वाहिद ने कहा कि बेटियों की शिक्षा से समाज का भविष्य उज्जवल होगा। “औरत ही समाज की असली ताक़त है। वही दुर्गा है, वही सरस्वती है और वही लक्ष्मी है।”
दान की अपील – सिर्फ पैसा नहीं, सामग्री भी दें
अब्दुल वाहिद ने कहा कि लोग केवल पैसे से ही नहीं, बल्कि छड़, सीमेंट, बालू और ईंट जैसी सामग्री दान करके भी मदद कर सकते हैं।उन्होंने कहा – “इंसान तो इंसान है। हिंदू-मुस्लिम का बंटवारा समाज ने बनाया है। इस नेक काम में सभी धर्म के लोग मिलकर सहयोग करें।”
औरत का बड़ा मक़ाम
उन्होंने बताया कि हर धर्म में औरत को इज़्ज़त और बड़ा मुकाम दिया गया है। हिंदू धर्म में उसे दुर्गा, सरस्वती और लक्ष्मी माना गया है। इस्लाम में कहा गया है कि अल्लाह जिससे खुश होता है उसे बेटी देता है। बेटी को रहमत और बरकत का ज़रिया माना गया है।
धार्मिक शिक्षा से ही सुधरेगा समाज
अब्दुल वाहिद ने कहा कि आज लोग धार्मिक शिक्षा से दूर होते जा रहे हैं, इसलिए अधर्म और अपराध की राह पर भटक रहे हैं। चाहे हिंदू हों, मुस्लिम, सिख या ईसाई – हर धर्म में शिक्षा का महत्व बताया गया है। अगर बच्चों को धार्मिक और नैतिक शिक्षा मिलेगी तो समाज अपने आप सुधरेगा।
जनकल्याण का बड़ा काम
उनका कहना है कि यह मदरसा पूरा होने पर केवल मुस्लिम समाज ही नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए जनकल्याण का काम करेगा। उन्होंने सभी से अपील की कि वे इस अधूरे काम को पूरा कराने के लिए आगे आएं और इसे एक मिसाल बनाएं।