मन शुद्ध,वाणी मधुर और व्यवहार विनम्र के संगम हैं डॉ रमण मिश्र गुरुजी-पं-भरत उपाध्याय

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विजय कुमार शर्मा बगहा पश्चिम चंपारण, बिहार

बगहा अनुमंडल अंतर्गत मधुबनी प्रखंड स्थित राजकीय कृत हरदेव प्रसाद इंटरमीडिएट कॉलेज के पूर्व प्राचार्य पं०भरत उपाध्याय ने बताया कि मेरे कुल गुरु डॉ रमण मिश्र जी महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा में व्याकरण- अनुषंगी तथा स्वामी सहजानंद संग्रहालय के संयोजक संबंधी दायित्वों का निर्विवाद रूप से निर्वहन करते हुए 29अगस्त को अपनी सेवा साधना से निवृत्त हो गए।
प्रकृति से पर्यावरण प्रेमी होने के कारण अपने परिसर को हरा भरा रखने में आपका बहुत बड़ा योगदान रहा है। आप संस्कृत साहित्य के ग्रंथ अथवा निरुक्त(निर्वचन), संबंधी प्रश्न सभी के अच्छे अध्येता हैं हिंदी में ख्यात नाम वाले निबंधकार कथाकार सभी के दुर्लभ पत्र का संग्रह आपने किया है।
जीवन में परिस्थितियां चाहे जैसी हों प्रसन्नचित्त रहना और छल कपट से दूर रहना सच्ची साधुता है लोभ और क्रोध पर विजय पाना मानसिक संतुलन की सबसे बड़ी कसौटी है। ऊंचे पद और बड़ी उपलब्धियां के बाद भी जो व्यक्ति अहंकार मुक्त रहे और विनम्र बना रहे वही सादगी का सच्चा प्रतीक है। आपकी मधुर वाणी ,विनम्र व्यवहार वास्तविक अर्थों में असाधारण व्यक्तित्व का प्रतीक है। आपकी साधारण जीवन शैली समाज के लिए प्रेरणादाई है।

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