कइसे खेले जइबू सावन में कजरिया, बदरिया घिरआए ननदी -पं-भरत उपाध्याय

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झूला, कजरी,झर्री, चिक्का गांवों से गायब

विजय कुमार शर्मा बगहा पश्चिम चंपारण, बिहार


मधुबनी, बगहा अनुमंडल अंतर्गत मधुबनी प्रखंड स्थित राजकीय कृत हरदेव प्रसाद इंटरमीडिएट कॉलेज के पूर्व प्राचार्य पं०भरत उपाध्याय ने नागपंचमी पर्व मनाते हुए कहा कि -ग्रामीण क्षेत्रों में अब पहले जैसा कुछ नहीं रहा हम लोगों के जमाने में आषाढ़ की वर्षा शुरू होते ही गांव में अखाड़े शुरू हो जाते थे। जहां छोटे बड़े सभी के घरों के बच्चे शामिल रहते थे। आज युवा वर्ग फिल्मी कल्चर को अपना कर अपना शारीरिक विकास प्राकृतिक की जगह कृत्रिम रूप से कर रहा है। जिसका विपरीत परिणाम भी सामने आ रहे है। परंपराओं को सहेजने के लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करना चाहिए। विश्व गुरु भारत विविधता का देश है, यहां की लोक रिति व परंपराएं इसकी एकता में अनेकता की पहचान हैं ।

साल के हर महीने अलग विशेषता व पहचान लिए हैं। सावन मास को लोक साहित्य में हरियाली का प्रतीक माना गया है किंतु आधुनिकता की दौड़ में लोकगीत की धरोहर झूला की कजरी और ग्रामीण खेल चिक्का, कबड्डी ,कुश्ती लगभग गायब हो चुका है ।युवतियां जहां पाश्चात्य चित्रपट के गीतों को गुनगुना रही हैं तो जुआ वर्ग वीडियो और मोबाइल गेम में उलझ कर अपनी परंपराओं से मुंह मोड़ते दिखाई दे रहे हैं।“झूला पड़े कदम की डारी झूलें कृष्ण मुरारी ना” यह गीत सावन की झूले के साथ गाये कृष्ण राधा के प्रेम तो “कैसे खेले जइबू सावन में कजरिया बदरिया घिर आई ननदी” आदि प्रकृति की छठा का बखान करने वाली लोकगीत खामोश होती जा रही है। आज उसकी जगह पाश्चात्य व अश्लील गीतों की श्रृंखला सुनने को मिल रही है।

हरियाली के इस मौसम का युवा वर्ग में भी ,विशेष जोश दिखता था। गांव-गांव सावन मास में उत्सव के साथ कुश्ती तथा युवा ग्रामीण खेलकूद चिक्का आदि का आयोजन होता था। जिससे शरीर के साथ ही मन मस्तिष्क भी स्वस्थ रहता था। धीरे-धीरे पूर्वजों की बनाई परंपराओं की जगह मोबाइल वह वीडियो गेम ने ले लिया है। जिसके आगोश में युवा पीढ़ी समय से पहले ही रुग्णता की चादर में लिपटे नजर आ रही है।जहां खेल आदि का आयोजन हो भी रहे हैं, तो उसकी व्यवसायीकरण से स्वस्थ प्रतिद्वंद्विता का अभाव रह जा रहा है। ग्रामीण स्तर पर कबड्डी प्रतियोगिता का प्रतीकात्मक आयोजन किया गया, जिसके अवलोकन का अवसर मिला। इस अवसर पर एडवोकेट प्रेम नारायण मणि त्रिपाठी, सत्येंद्र तिवारी ,उपेंद्र कुमार ,विनय कुमार मिश्रा, राधे मणि, दिनेश कुमार गुप्ता आदि दर्जनों लोग उपस्थित रहे।

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