विजय कुमार शर्मा बगहा पश्चिम चंपारण, बिहार
औरंगाबाद – मंगलवार की देर शाम थाना क्षेत्र के पंचमुखी हनुमान मंदिर सह शिव मंदिर परिसर में सत्संग का आयोजन किया गया। अंतर्राष्ट्रीय न्यास स्वरांजलि सेवा संस्थान द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारंभ समवेत स्वर में हनुमान चालीसा के पाठ से किया गया। पर्यावरणीय विषयों के प्रति जन जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से विश्व मगरमच्छ दिवस एवं मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस पर भी गंभीर चिंतन और विमर्श किया गया। संस्था के मैनेजिंग डायरेक्टर संगीत आनंद ने कहा कि गंगा मां का वास स्थल होने कारण हमें मगरमच्छ सहित समस्त जलीय जीव जंतुओं के संरक्षण के प्रति सजा करना चाहिए । गंगा मां का वाहन मगरमच्छ है। विदित हो कि संस्था द्वारा भारत नेपाल सीमा पर गंडक नदी के तट पर वाल्मीकिनगर में 6 नवंबर 2014 से हर महीने की पूर्णिमा तिथि को नारायणी गंडकी महा आरती कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। संस्था द्वारा पौधारोपण का भी विशेष कार्यक्रम चलाया जाता है। संस्था की राष्ट्रीय अध्यक्षा अंजू देवी ने कहा कि मगरमच्छ जैव विविधता की महत्वपूर्ण कड़ी है।इनका अस्तित्व नदी की पारिस्थितिक तंत्र को संतुलित बनाए रखने में सहायक है। सत्संगी संतोष राय ने कहा कि इस सत्संग के माध्यम से श्रद्धालुओं को आत्मिक शांति के साथ-साथ प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी का भी संदेश दिया जाता है। वार्ड प्रतिनिधि जितेंद्र यादव ने कहा कि मरुस्थलीकरण की बढ़ती चुनौती जलवायु परिवर्तन और जल स्रोतों के सूखने की समस्या औरंगाबाद इलाके में भी देखी जा रही है। व्यवसाई जितेंद्र यादव ने जल संचयन ,पौधारोपण और प्राकृतिक धरोहरों की रक्षा पर बल दिया। स्वरांजलि सेवा संस्थान द्वारा लोगों से अपील की गई कि वह जलीय जीवों, नदियों एवं पारिस्थितिकी संरक्षण को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। महाप्रसाद की व्यवस्था डब्लू सिंह उर्फ बबलू सिंह द्वारा की गई। वहीं इस सत्संग में बिरजा यादव,संतोष पांडे ,छोटू पासवान, एवं प्रमोद पासवान का सहयोग सराहनीय रहा। इस मौके पर संवेदक छोटेलाल प्रसाद, छात्र पीयूष कुमार यादव, दिनेश यादव, राजेश शर्मा, अंजू देवी, अंजू राय , दिनेश यादव, पुजारी आलोक कुमार उपाध्याय,आदि की भूमिका सराहनीय रही। इस कार्यक्रम में भजनों द्वारा भी मगरमच्छ दिवस और गंगा मां की भक्ति की महिमा बताई गई । हनुमान जी की आरती के साथ कार्यक्रम को विराम दिया गया। गंगा मैया की जय, हनुमान जी की जय, जल देवता की जय, पेड़ पौधों की जय जयकार से कार्यक्रम स्थल गुंजायमान होता रहा।