विजय कुमार शर्मा – बगहा पश्चिम चंपारण,बिहार
दिनांक:- 31-07-2025

बगहा विधानसभा से प्रत्याशी महफूज आलम ने देश में बढ़ती असमानता, संवैधानिक अधिकारों के हनन और धार्मिक स्वतंत्रता पर हो रहे हमलों को लेकर सरकार पर कड़ा प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि भारत सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है, जहां हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई मिलकर एक सुंदर, मजबूत और समरस देश का निर्माण करते हैं।
आलम ने कहा कि हमारे संविधान निर्माताओं ने हर नागरिक को समान अधिकार दिए, मज़हब के आधार पर किसी भेदभाव को नकारा और सभी को समान अवसर देने की व्यवस्था की, लेकिन हाल के वर्षों में यह व्यवस्था चरमरा गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि संविधान की मूल भावना को दरकिनार कर, सरकार धार्मिक आयोजनों के नाम पर एक विशेष वर्ग को बढ़ावा दे रही है जबकि अन्य वर्गों को अनावश्यक दबाव में रखा जा रहा है।
दलित, आदिवासी और मुसलमानों को नहीं मिल रहा न्यायपूर्ण प्रतिनिधित्व
महफूज आलम ने खासतौर पर पुलिस विभाग में हो रहे भेदभाव का मुद्दा उठाते हुए कहा कि दलितों, आदिवासियों और मुसलमानों को उनकी आबादी और क्षेत्र के अनुपात में प्रतिनिधित्व नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि थानों में बहुजन समाज के लोगों को थानेदार जैसे पदों पर नियुक्त नहीं किया जा रहा है, जिससे सामाजिक न्याय की अवधारणा को ठेस पहुंच रही है।
ईमानदार अधिकारियों की उपेक्षा पर सवाल
प्रत्याशी आलम ने कहा कि कई ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी पोस्टिंग के इंतज़ार में बैठाए गए हैं, जबकि सरकार अपने चहेते अफसरों को मनचाही तैनाती देकर उनसे मनमाने ढंग से काम ले रही है। यह न केवल नौकरशाही को प्रभावित कर रहा है, बल्कि लोकतंत्र की जड़ों को भी कमजोर कर रहा है।
“सरकार को करनी चाहिए आत्मचिंतन”
महफूज आलम ने कहा कि देश में पैदा हो रही असमानता, असुरक्षा और धार्मिक शंकाओं का समाधान सरकार को करना चाहिए, लेकिन सरकार वोट की राजनीति में उलझी है और एक बड़े तबके को नजरअंदाज कर रही है। उन्होंने सरकार से संवैधानिक मूल्यों का सम्मान करने और सभी नागरिकों के साथ समान व्यवहार करने की अपील की।