लकड़बग्घा के पैरों का निशान खोजने गांव पहुंची वन विभाग की टीम

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आदमखोर जानवर का अरन्द गांव में बढ़ा आतंक

घरों के बाहर सोना हुआ बंद, ग्रामीण दहशत में

उत्तर प्रदेश से अमित कुमार शर्मा की रिपोर्ट

जौनपुर । कोतवाली शाहगंज थाना अंतर्गत अरन्द गांव में आदमखोर लकड़बग्घे का निशान खोजने के लिए शनिवार को दूसरे दिन वन विभाग के अधिकारियों की टीम घन्टो मशक्कत करती रही लेकिन उसका तनिक भी सुराग नहीं मिला।
उधर लकड़बग्घे का आतंक पूरे गांव में इस कदर फैल गया है कि लोग अब अपने मवेशियों को घर के बाहर बांधना बंद कर दिये हैं। देर रात तक एक दूसरे के घर खेलने और बाहर सोने वाले बच्चों की सुरक्षा को लेकर अभिभावक अब पूरी तरह से संजीदा हो गए हैं। उनका कहना है कि जिस प्रकार से इस जंगली आदमखोर जानवर ने पांच बकरियां को अपना नेवला बना दिया । उससे साफ जाहिर है कि किसी भी बच्चे पर वह कभी भी हमला करके अपना शिकार बन सकता है। बताते चले कि अरंद गांव निवासी शीला देवी राजभर पत्नी स्वर्गीय राजेंद्र प्रसाद उर्फ चुल्लूर की पांच बकरियों को बीती रात आदमखोर लकड़बग्घे ने मार कर अपना शिकार बना लिया। सुबह गांव वालों को जानकारी हुई तो खूब हो हल्ला मचा लेकिन अभी तक वन विभाग के अधिकारी किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंचे कि इस इलाक़े में किस जानवर का आतंक है।

ग्रामीण बताते हैं कि यहां आदमखोर जंगली जानवरों का आना-जाना अक्सर लगा रहता है।

गांव के प्रबुद्ध नागरिक रामनयन वर्मा ने बताया कि शाहगंज के वन रेंजर राकेश कुमार के निर्देश पर डिप्टी रेंजर जय हिंद यादव, बन दरोगा दुर्गेश कुमार के साथ अधिकारियों की टीम गांव में पहुंच कर छानबीन कर रही है। टीम के अधिकारी लकड़बग्घा के निशान और उसके आने जाने वाले रास्तों के बारे में छानबीन किए जरूर लेकिन उन्हें कोई सुराग नहीं लगा । बाद में उन्होंने कहा कि यह किसी छोटे जानवर की भी कारस्तानी हो सकती है।

इतने बड़े हादसे के बाद गंभीर नहीं है वन विभाग

जौनपुर। शाहगंज कोतवाली अंतर्गत अरन्द गांव में आदमखोर लकड़ बग्घे के आतंक से हजारों लोग दहशत में है जी रहे हैं। लेकिन वन विभाग अधिकारी अभी भी चैन की नींद सो रहे हैं। पांच बकरियां को अपना नेवला बनाने वाले लकड़बग्घा के आतंकी खबर पुलिस विभाग, राजस्व विभाग और जिले के अधिकारियों को हो गई ।मगर वन विभाग के अधिकारियों को यह खबर नहीं लगी। जबकि वन दरोगा गोरख प्रसाद का यह क्षेत्र है।घटना के 36 घंटे बाद वह मौके पर जांच पड़ताल करने पहुंचे। इस दौरान वन विभाग की टीम अपनी उपस्थिति दर्ज करने के लिए नाम पर सिर्फ मोबाइल से वीडियो बनाने और ग्रामीणों को यह समझाने में लगी रही की कोई छोटा जानवर था, चला जाएगा थोड़ा आप लोग सावधान रहिए।

बहुत बुद्धिमान होते हैं लकड़बग्घे

जौनपुर। लकड़बग्घे बहुत बुद्धिमान व चालाक शिकारी होते हैं। इनके जबड़े बहुत मजबूत होते हैं। वे हड्डियों को भी कुचल सकते हैं। अत्यधिक भूख लगने पर लकड़बग्घे शिकार करने या मांस खाने के लिए मनुष्यों पर भी हमला करने में संकोच नहीं करते। हालाँकि यह आबादी के बीच नहीं जाते लेकिन जब इन्हें शिकार नहीं मिलता अत्यधिक भूख लगती है तो यह घनी आबादी के बीच छोटे जानवरों बकरी और बच्चों पर भी हमला बोल देते हैं।

लकड़बग्घे रात में अधिक सक्रिय होते हैं, वन रेंजर

जौनपुर। लकड़बग्घे, विशेष रूप से धब्बेदार लकड़बग्घे, मनुष्यों के लिए बड़ा खतरा माने जाते हैं। रात में वह अधिक सक्रिय होते हैं। वे आम तौर पर इंसानों पर हमला पहले नहीं करते जब तक कि उन्हें उकसाया या धमकाया न जाए। खासकर जब उनके बच्चे आसपास रहते हैं तो वह किसी कभी शिकार करने में संकोच नहीं करते। इस संबंध में वन रेंजर राकेश कुमार बताते हैं कि प्राकृतिक आवासों में लकड़बग्घों का सामना करते समय सावधानी बरतना और उनके जंगली स्वभाव का सम्मान करना महत्वपूर्ण होता है।

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