रमेश ठाकुर – पश्चिम चंपारण,बिहार
दिनांक:- 01-06-2025

मां शारदा की नगरी मैहर, जो धार्मिक आस्था का केंद्र है, वहां बीते वर्षों में तेजी से होटल, लॉज, यात्री निवास एवं धर्मशालाओं की संख्या में इज़ाफ़ा हुआ है। यह पर्यटन और धार्मिक दृष्टिकोण से सकारात्मक संकेत अवश्य है, किंतु इस विकास के साथ-साथ कई गंभीर प्रश्न भी खड़े हो रहे हैं।सामाजिक चिंतक एवं जनहित के मुद्दों को कलम के माध्यम से उठाने वाले रवींद्र सिंह ‘मंजू सर’ ने एक बार फिर गंभीर सवाल उठाते हुए प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया है। उनका कहना है कि वर्तमान में मैहर क्षेत्र में संचालित हो रहे सैकड़ों लॉज, होटल, धर्मशालाओं एवं यात्री निवासों की न तो कोई सुस्पष्ट गणना उपलब्ध है, और न ही इनकी वैधता की जांच सार्वजनिक रूप से हुई है।
अवैध संचालन पर सवाल
‘मैहर की कलम’ से रवींद्र सिंह ने लिखा है कि अनेक होटल एवं लॉज ऐसे हैं जो घरेलू भवनों में बिना व्यावसायिक अनुमति के संचालित किए जा रहे हैं। इसके अलावा कई लॉज व यात्री निवास आदिवासियों की भूमि पर बने हैं, जिनके दस्तावेजों की वैधता भी संदेह के घेरे में है। सूत्रों के अनुसार कुछ व्यवसायिक प्रतिष्ठानों ने आवश्यक दस्तावेज अवश्य तैयार करवा लिए होंगे, किंतु बड़ी संख्या में ऐसे भी संचालक हैं जो शासन की नियमावली की अनदेखी कर अवैध संचालन कर रहे हैं। इससे न केवल प्रशासन को राजस्व की क्षति हो रही है, बल्कि आम जनता की सुरक्षा और सुविधा भी प्रभावित हो रही है।
रवींद्र सिंह की प्रशासन से मांग
रवींद्र सिंह ‘मंजू सर’ ने जिला प्रशासन, नगरपालिका एवं संबंधित विभागों से यह करबद्ध प्रार्थना की है कि मैहर क्षेत्र में संचालित समस्त होटल, लॉज, यात्री निवास एवं धर्मशालाओं की विस्तृत सूची तैयार की जाए। उनके दस्तावेजों की वैधता की जांच की जाए — जैसे भवन नक्शा, भूमि स्वामित्व, वाणिज्यिक स्वीकृति, फायर एनओसी, स्वास्थ्य प्रमाणपत्र आदि। जो प्रतिष्ठान अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं, उनके विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जाए। भविष्य में किसी भी प्रकार की अनुमति से पूर्व मापदंड स्पष्ट किए जाएं — जैसे निर्माण की मंजिलें, पार्किंग की व्यवस्था, सुरक्षा मानक आदि।
यात्रियों के हितों की सुरक्षा
रवींद्र सिंह ने यह भी कहा कि माँ शारदा के दरबार में देशभर से आने वाले श्रद्धालुओं के साथ बेहतर व्यवहार और सुरक्षित ठहराव की व्यवस्था सुनिश्चित होनी चाहिए। एक धार्मिक स्थल की गरिमा तभी बरकरार रह सकती है जब वहां व्यवस्था पारदर्शी और नियमानुसार हो।
निष्कर्ष
‘मैहर की कलम’ से की गई यह अपील निश्चित ही विचारणीय है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस दिशा में क्या कदम उठाता है। यह कदम सिर्फ व्यवस्थागत सुधार ही नहीं, बल्कि मां शारदा की नगरी की गरिमा की रक्षा के लिए भी आवश्यक है।