भविष्य की माताओं को कैंसर से बचाने की मुहिम, मझौलिया में 9 से 14 वर्ष की छात्राओं को लगाया गया टीका

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अनिल कुमारशर्मा – मझौलिया पश्चिम चंपारण,बिहार दिनांक:- 03-08-2025

शनिवार को मझौलिया प्रखंड के कन्या मध्य विद्यालय परिसर में 09 से 14 वर्ष की आयु वर्ग की छात्राओं के लिए ह्यूमन पापिलोमा वायरस (एचपीवी) वैक्सीन का टीकाकरण किया गया। यह वैक्सीन गर्भाशय ग्रीवा (सर्वाइकल) कैंसर से सुरक्षा प्रदान करता है, जो किशोरियों में बढ़ते खतरे को देखते हुए अत्यंत आवश्यक माना जा रहा है। इस अवसर पर स्वास्थ्य विभाग एवं यूनिसेफ के संयुक्त तत्वावधान में एक विशेष कैम्प और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मझौलिया के प्रभारी डॉ. अनुपम प्रसाद, यूनिसेफ के प्रतिनिधि प्रकाश उपाध्याय एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के पुरषोत्तम चौबे ने संयुक्त रूप से फीता काटकर किया। समारोह की अध्यक्षता विद्यालय की प्रधानाचार्या सीमा कुमारी सिंह ने की। उन्होंने छात्राओं व अभिभावकों को वैक्सीनेशन के प्रति जागरूक रहने की अपील की। इस मौके पर डॉ. अनुपम प्रसाद ने कहा, “सर्वाइकल कैंसर महिलाओं के लिए एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही है। एचपीवी वैक्सीन इसे रोकने में कारगर है और इसे किशोरावस्था में ही दिया जाना चाहिए, जब इसका प्रभाव सबसे अधिक होता है।”

यूनिसेफ के अधिकारी प्रकाश उपाध्याय ने बताया कि सरकार की गाइडलाइंस के अनुसार अब 09 से 14 वर्ष की सभी लड़कियों को चरणबद्ध तरीके से यह टीका दिया जा रहा है। इस अभियान की शुरुआत कन्या मध्य विद्यालय से की गई है, जिसके बाद अन्य विद्यालयों में भी रोटेशन के अनुसार टीकाकरण किया जाएगा। टीकाकरण अभियान को सफल बनाने में स्वास्थ्य विभाग की टीम की अहम भूमिका रही। इस अवसर पर नोडल पदाधिकारी डॉ. लुकमान, हेल्थ मैनेजर शकील अहमद, एएनएम रीता देवी, आशा फेसिलेटर सजदा खानम, आशा कार्यकर्ता कनक कुमारी एवं अफसाना बेगम, फार्मासिस्ट लक्ष्मी कुमारी तथा विद्यालय के शिक्षक शिव शंकर प्रसाद और मुरारी प्रसाद चौरसिया का भी सराहनीय योगदान रहा। इस पहल के माध्यम से स्थानीय स्तर पर न सिर्फ छात्राओं को टीकाकरण किया गया, बल्कि उनके परिवारों और समुदाय को भी महिला स्वास्थ्य, कैंसर से सुरक्षा और रोग प्रतिरोधक टीकाकरण जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर जागरूक किया गया। स्थानीय लोगों ने भी इस प्रयास की सराहना की और उम्मीद जताई कि इस तरह के स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रमों से समाज में गंभीर बीमारियों को लेकर भ्रांतियां दूर होंगी और समय पर बचाव संभव हो सकेगा।

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