पूरी अकीदत के साथ पढ़ी गई बकरीद की नमाज।

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अमन चैन सांप्रदायिक सौहार्द देश की अखंडता व सुख समृद्धि की मांगी गई दुआ ।


अनिल कुमार शर्मा मझौलिया पश्चिम चंपारण।


त्याग और बलिदान का पर्व बकरीद पर्व की नमाज पूरी अकीदत के साथ ईदगाहों में पढ़ी गई। निर्धारित समय के पूर्व नए-नए परिधानों से सुसज्जित होकर नमाजियों की भीड़ ईदगाहों में पहुंच गई। कहा जाता है कि जब पैगंबर इब्राहिम अपने बेटे की कुर्बानी देने वाले थे इस समय अल्लाह ने अपने दूत को भेज कर बेटे को एक बकरे से बदल दिया था। तभी से बकरीद अल्लाह में पैगंबर इब्राहिम के विश्वास को याद करने के लिए मनाया जाता है। यह पर्व इस्लाम धर्म का ईद पर्व के बाद प्रमुख पर्व माना जाता है। यह पर्व त्याग और बलिदान की भावना को जागृत करता है तथा मानव को अपनी समस्त बुराइयों ईर्ष्या द्वेष लालच कपट दुर्भावना को छोड़कर अल्लाह पर पूर्ण विश्वास करने का पैगाम देता है। बकरीद का पर्व मुसलमानों का बहुत बड़ा पर्व है। जिसे ईद उल अजहा या कुर्बानी की ईद के नाम से जाना जाता है। यह पर्व पूरी दुनिया में बहुत श्रद्धा और भाईचारे के साथ मनाया जाता है। यह पर्व हर साल हज यात्रा के खत्म होने पर मनाई जाती है जो इस्लाम धर्म के पांच स्तंभों में से एक है। बकरीद का पर्व हमें सिखाती है कि त्याग इमान और इंसानियत के रास्ते पर चलकर अल्लाह की राह में खुद को समर्पित करना ही असली भक्ति है। यह पर्व याद दिलाता है कि दूसरों की भलाई और परोपकार करना ही सच्चा धर्म है। बकरीद सिर्फ एक त्यौहार नहीं बल्कि एक सोच और जीवन शैली है जो इंसान को बेहतर बनाती है। बकरीद का पर्व पूरे प्रखंड में धूमधाम से मनाई गई। इस्लाम धर्म के अनुयायियों ने पूरे संकल्प के साथ अल्लाह के बताएं रास्ते पर चलने का संकल्प लिया।

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