रमेश ठाकुर – बेतिया पश्चिम चंपारण,बिहार
दिनांक:- 24-07-2025
बिहार में सरकारी नौकरी दिलाने, विभागीय परीक्षा पास करवाने और मनचाही पोस्टिंग के नाम पर चल रहा करोड़ों रुपये की अवैध वसूली का खेल अब धीरे-धीरे उजागर होने लगा है। ताजा मामला मुंगेर जिले के जमालपुर प्रखंड के वोचाही गांव निवासी पिम पिम कुमार उर्फ दिलीप पासवान से जुड़ा है, जिस पर नौकरी दिलाने और ट्रांसफर करवाने के नाम पर लाखों रुपये वसूलने के गंभीर आरोप लगे हैं।
राजधानी पटना से लेकर जिला स्तर तक फैला नेटवर्क
सूत्रों के अनुसार पिम पिम पासवान का नेटवर्क राजधानी पटना तक फैला हुआ है। बताया जा रहा है कि वह पटना में सक्रिय कई गिरोहों के साथ साठगांठ कर सरकारी संस्थानों के फर्जी प्रमाणपत्र दिलवाने, स्वास्थ्य और पशुपालन विभागों में नियुक्तियां कराने तथा ट्रांसफर/पोस्टिंग करवाने के नाम पर बड़ी रकम वसूलता है।
स्वास्थ्य विभाग की एक स्टाफ नर्स से लिया दो लाख का चेक
ताजा उदाहरण मुजफ्फरपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, सरैया में कार्यरत स्टाफ नर्स बबीता कुमारी का है, जो मूल रूप से मुंगेर जिले की निवासी हैं। उन्होंने अपना ट्रांसफर मुंगेर करवाने के लिए पिम पिम कुमार को दो लाख रुपये का चेक और नगद भुगतान किया। सारी प्रक्रिया पूरी होने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग की सूची अब तक जारी नहीं हुई है, जिससे चेक की क्लीयरिंग रुकी हुई है।
पशुपालन विभाग से जुड़े मामले में हुआ था बड़ा हंगामा
एक अन्य मामले में पिम पिम पासवान ने पशुपालन विभाग के अधिकारी संजय पासवान के साथ मिलकर नौकरी के नाम पर जिले के दर्जनों युवाओं से करोड़ों रुपये की उगाही की। जब काम नहीं बना तो दोनों के बीच विवाद इतना बढ़ा कि पिम पिम पासवान ने संजय पासवान के खिलाफ मुंगेर न्यायालय में मुकदमा भी दर्ज कराया। इस दौरान जमानत के लिए पहुंचे संजय पासवान को कोर्ट परिसर में ही नौकरी दिलाने के नाम पर ठगे गए दर्जनों युवाओं ने घेर लिया। कोर्ट परिसर में जमकर हंगामा हुआ और युवाओं ने अपने पैसे की मांग की। यह पूरी घटना दैनिक भास्कर अखबार में प्रकाशित हो चुकी है और कई मीडिया चैनलों पर प्रसारित भी की गई थी, जो इस पूरे प्रकरण का मजबूत साक्ष्य है।
युवा नेताओं की भूमिका पर उठे सवाल
चिंता की बात यह भी है कि कुछ नवोदित युवा नेता भी अब इस तरह की गतिविधियों में संलिप्त होते जा रहे हैं। कम समय में अधिक धन कमाने की लालसा ने उन्हें इस प्रकार की कानूनी और गैरकानूनी गतिविधियों में फर्क करना भुला दिया है। इससे न केवल युवा वर्ग का नैतिक पतन हो रहा है, बल्कि सरकारी व्यवस्था की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
प्रशासन से जांच की मांग
इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच और ऐसे नेटवर्क को तोड़ने की आवश्यकता है, जो सरकार और प्रशासन की छवि को लगातार धूमिल कर रहे हैं। अब देखना होगा कि राज्य सरकार और संबंधित विभाग इस मामले में कितनी तत्परता और गंभीरता दिखाते हैं।