बोलबम के जयकारे से गूंजता रहा वाल्मीकि नगर
वाल्मीकि नगर से नंदलाल पटेल की रिपोर्ट
वाल्मीकि नगर में रविवार को शिवभक्तों का तांता लगा रहा। देवों के देव महादेव पर जलाभिषेक को लेकर गंडक नदी से जल भरकर अपने गन्तव्य की ओर बढ़ते कांवरियों के बोलबम के जयकारे से वाल्मीकिनगर गूंजता रहा। गेरुआ वस्त्रधारी शिवभक्तों का उत्साह देखते ही बन रहा था। कभी धूप तो कभी बारिश की बौछारों के बीच कांवरिये आगे बढ़ते रहे। रविवार को हुई झमाझम बारिश से कांवरियों को गर्मी से राहत मिली। आसमान में घने बादल घिर आए एवं ठंडी हवा के साथ झमाझम बारिश हुई।बारिश थमने के बाद कांवरियों का कारवां फिर चल पड़ा। बारिश ने न केवल मौसम को ठंडा किया बल्कि उनकी यात्रा को भी सुगम बना दिय। सुबह से ही कांवरियों की भीड़ बनी रही। बड़ों के साथ बच्चे भी बोलबम का नारा है, बाबा एक सहारा है का नारा लगाते आगे बढ़ रहे थे। बोलबम के नारे से थके-हारे कांवरियों में भी उत्साह का संचार हो रहा था।इंद्रदेव भी बारिश की फुहारों से शिवजी का अभिषेक करने को आतुर दिखे। कांवर यात्रा में बच्चे, बूढे़ और महिलाएं भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। कुछ शिवभक्त तिरंगा लेकर चल रहे हैं। भगवान शिव और पार्वती की छाप छोड़ने वाली सजी-धजी कांवर आम जनता के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हैं। कांवर ड्यूटी में लगे पुलिस के जवान ड्यूटी दे रहे हैं। गोल चौक पर चौतरफा हजारों लोग एक साथ एकत्र हो जाते हैं।इस बावत पंडित अनिरुद्ध द्विवेदी ने बताया कि सावन का महीना शीतलता का प्रतीक है। रिमझिम बारिश की फुहारों से प्रकृति हरी-भरी हो जाती है। इस महीने में भगवान शंकर की पूजा-अर्चना का भी विशेष महत्व है। भगवान शंकर विषपान किए थे इसलिए शीतलता उन्हें भाती है। सावन में श्रद्धालु जलाभिषेक करते हैं, जिससे भगवान शंकर खुश होते हैं। श्रद्धालु बेलपत्र, गंगाजल, दूध, दही, मधु के साथ जलाभिषेक करते हैं।