जटाशंकर धाम व कालेश्वर धाम में भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए हजारों हजार की संख्या में भीड़ उमड़ी

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बाल्मीकि नगर से नंदलाल पटेल की रिपोर्ट

वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के वन क्षेत्र में विराजमान जटाशंकर धाम में सावन के दूसरे सोमवार को भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए लगभग हजारों हजार की संख्या में भीड़ उमड़ी। शिवभक्तो ने सोनहा घाट पर स्नान कर पहले कालेश्वर मंदिर में जल चढ़ाया बाद में जटाशंकर मंदिर में भगवान भोलेनाथ को जल चढ़ाकर आशीर्वाद लिया।
बता दें कि यहां दर्शन के लिए रात से ही लोग पहुंचने लगते है। मान्यता के अनुसार भगवान भोलेनाथ के कई भक्त यहां मीलों पैदल चलकर भी पहुंचते है। भोलेनाथ पर जल चढ़ाने का विशेष महत्व होता है।
हर साल सावन के महीने में वीटीआर हरियाली की चादर ओढ़ लेती हैं। वीटीआर की सुन्दरता प्रकृति प्रेमी, श्रद्धालुओ को अपनी ओर आकर्षित करती है।
यह मंदिर धार्मिक आस्था का बड़ा केन्द्र है। यूं तो यहां हमेशा ही श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन सावन के महीने में यहां भारी भीड़ रहती है। ऐसी मान्यता है कि यहां मांगी गई मुराद भोलेनाथ पूरी करते हैं। प्राकतिक
दृष्टि से भी यह स्थान मनोरम है। चारों ओर इस स्थान को घेरे हुए जंगल इसके सौन्दर्य में चार चांद लगाते हैं।जटाशंकर धाम मंदिर में सावन की दूसरी सोमवारी पर श्रद्धालुओं व कांवरियों ने हर्षोल्लास पूर्वक शिवलिंग का जलाभिषेक किया। पुरुषों की अपेक्षा महिला श्रद्धालुओं की संख्या अधिक रही। जलाभिषेक व मेला का आयोजन होने से शिवभक्तों का उत्साह चरम पर रहा। शिवलिग पर जलाभिषेक को लेकर उत्तर प्रदेश एवं नेपाल के भक्तों की भीड़ दिन भर उमड़ती रही। शिवालय की साज-सज्जा शिवभक्तों के आकर्षण का केंद्र रहा। बोल बम का नारा है बाबा एक सहारा है के नारों से कांवरियां पथ व मंदिर प्रांगण गूंजायमान होता रहा।
हर-हर महादेव के जयघोष की गूंज पूरे दिन शिव मंदिरों पर रही। शिव मंदिरों पर जलाभिषेक के लिए भोर से ही भक्तों का तांता से ही लग गया। भगवान शिव को दूध, गंगाजल, बेल पत्र, धतूरा आदि से अभिषेक भक्तों ने किया। भक्तों की भीड़ देखकर सुरक्षा के भी व्यापक प्रबंध किए गए थे। मंदिर परिसर में धतूरा, गंगाजल, भांग, दूध लेकर भक्त जलाभिषेक के लिए कतार में लगे दिखे। मंदिर के पुजारी श्याम पुरी ने बताया कि पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार भक्तों की अधिक भीड़ है। जटाशंकर धाम से करीब एक मील की दूरी पर अवस्थित कालेश्वर धाम मंदिर का निर्माण बेतिया के महाराज ने कराया था। कालेश्वर धाम मंदिर के पास ही संगम तट है जहां तमसा सोनभद्र और नारायणी का मिलन होता है। तीन नदियों के मिलन के चलते यह स्थान त्रिवेणी संगम कहलाता है। इसी संगम स्थल से जल लेकर शिव भक्त कांवरिया नर्मदेश्वर महादेव, सोमेश्वर महादेव, पक्की बावली मंदिर बगहा, पंचमुखी महादेव मंदिर इटहिया महाराजगंज उत्तर प्रदेश, नर्मदेश्वर महादेव का मंदिर रामनगर पश्चिम चंपारण में, सोमेश्वर महादेव अरेराज पूर्वी चंपारण में, पंचमुखी महादेव मंदिर इटहिया जिला महाराजगंज उत्तर प्रदेश में जलाभिषेक करते हैं।जटाशंकर मंदिर धाम समिति द्वारा भंडारा का आयोजन किया गया है ।भंडारे का प्रसाद खाने के लिए भक्तों की भीड़ लग रही है। जटाशंकर मंदिर धाम कमेटी के अध्यक्ष रूपनारायण काजी ने बताया कि डाक बम कांवरियों को यहां टिकट निर्गत किया जाता है। श्रावणी मेला के दौरान एक अगस्त से 24 घंटे का अष्टयाम शुरू होगा। हर रविवार को भंडारा का आयोजन किया जा रहा है। समिति के तारकेश्वर काजी ,यशवंत कुमार, दिनेश प्रसाद ,रमेश मरदनिया, उमाकांत चौधरी ,वीरेंद्र प्रसाद ,जितेंद्र महतो की भूमिका सराहनीय है। समाज सेवी संगीत आनंद मेला में आए भक्तों का स्वागत करते हुए बाल्मीकि नगर के प्राचीन इतिहास से उन्हें रूबरू करा रहे हैं।

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