विजय कुमार शर्मा बगहा पश्चिम चंपारण, बिहार
आज सुबह इस झकझोर देने वाली खबर से हुई कि ,गुरुदेव नीरन जी नहीं रहे।शुभाश्रम परिसर में मानस मर्मज्ञ अखिलेश शांण्डिल्य ने भावुक होकर कहा- भोजपुरी का ध्रुव तारा नहीं रहा!उनसे भोजपुरी की दिशा का ज्ञान होता था। भोजपुरी साहित्य के जाने-माने रचनाकार, समकालीन भोजपुरी, साहित्य पत्रिका के संपादक और शिक्षाविद् डॉ अरुणेश नीरन जी बुद्ध स्नातकोत्तर महाविद्यालय कुशीनगर के प्राचार्य रहे।उनका असमय जाना पूर्वांचल की साहित्यिक, सांस्कृतिक और बौद्धिक धरातल पर एक अपूरणीय क्षति है ।
शिष्य परिकर से आने वाले पूर्व प्राचार्य पं०भरत उपाध्याय ने कहा कि गुरुवर उन दुर्लभ व्यक्तित्वों में से थे । जिनके बारे में कुछ भी कहते हुए शब्द कम पड़ जाते हैं।उनका स्नेहिल आशीर्वाद ,गहन विद्वता और सहज ,आत्मीयता हम सभी के लिए सदैव प्रेरणा का स्रोत रहेगी। आज मन बहुत अकेला हो गया है। भोजपुरी के लिए आजीवन संघर्ष करने वाले योद्धा को हमने खो दिया है।ईश्वर एक बार और धराधाम पर भेजें कि भोजपुरी आठवीं अनुसूची में शामिल हो जाय।
भोजपुरी के एक युग का अंत
देवरिया खास निवासी जगदीश मणि त्रिपाठी के ज्येष्ठ पुत्र के रूप में नीरनजी का जन्म 20जून 1946को हुआ था
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा में सेवा देने सहित वह गोरखपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध बुद्धा पीजी कॉलेज कुशीनगर के प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त हुए थे।
पुरइन पात,समकालीन भोजपुरी साहित्य ,दर्जनों पुस्तकों के संपादक रहे डॉक्टर नीरन साहित्य अकादमी के सदस्य भी रहे ,उन्होंने भोजपुरी और हिंदी भाषा के उन्नयन के लिए विशेष योगदान दिया, उनके द्वारा संपादित हिंदी भोजपुरी शब्दकोश स्मरणीय है ,इसके अतिरिक्त वह देश के प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में स्वतंत्र लेखन करते रहे। प्रख्यात साहित्यकार निरन जी को विनम्र श्रद्धांजलि शत-शत नमन।
शोक संवेदना व्यक्त करने वालों में प्रमुख रूप से एडवोकेट प्रेम नारायण मणि त्रिपाठी, अद्वैत शांडिल्य, अरविंद मणि त्रिपाठी, दिनेश कुमार गुप्ता आदि उपस्थित रहे।