बगहा ग्रामीण ऊर्जा केंद्र का केंद्रीय मंत्री सतीश चंद्र दुबे ने फीता काट कर किया उद्घाटन।
थरुहट क्षेत्र के किसानों को मिला ईंधन आपूर्ति का नया केंद्र
विजय कुमार शर्मा बगहा पश्चिम चंपारण, बिहार
बगहा दो प्रखंड के सौराहा गांव में शनिवार को उस समय उत्सव जैसा माहौल बन गया जब इंडो-नेपाल बॉर्डर के समीप सैनिक रोड पर भारत पेट्रोलियम के पहले पेट्रोल पंप का उद्घाटन केंद्रीय मंत्री सतीश चंद्र दुबे ने किया। मंत्री ने फीता काट कर पंप का लोकार्पण किया और इसके सफल संचालन के लिए शुभकामनाएं दीं। यह क्षेत्र थरुहट के ग्रामीण इलाके में आता है जहाँ अब तक ईंधन की कोई स्थायी सुविधा नहीं थी। ग्रामीणों और खासकर किसानों को डीजल-पेट्रोल लेने के लिए दूरदराज़ के इलाकों में जाना पड़ता था। ऐसे में इस पंप के शुरू होने से लोगों को बड़ी राहत मिली है।
ग्रामीण विकास की दिशा में बड़ी पहल

उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री दुबे ने कहा कि यह पंप सिर्फ एक व्यावसायिक सुविधा नहीं, बल्कि ग्रामीण विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि इससे किसानों को खेती के सीजन में डीजल की किल्लत नहीं झेलनी पड़ेगी और यात्रियों को भी रास्ते में सुविधाजनक सेवाएं मिलेंगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गांवों और सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं का तेजी से विकास हो रहा है और यह पेट्रोल पंप उसी कड़ी का हिस्सा है।
सम्मान और सौहार्द का दृश्य

समारोह के दौरान पंप के संचालक द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित सभी अतिथियों का पारंपरिक तरीके से अंग वस्त्र और माला पहनाकर स्वागत किया गया। पूरे आयोजन में सौहार्द और ग्रामीण एकता का सुंदर दृश्य देखने को मिला।
कई जनप्रतिनिधि व सामाजिक कार्यकर्ता रहे मौजूद

इस अवसर पर भाजपा विधायक राम सिंह,जिला अध्यक्ष, अचिंत्य लला, रतनपुरवा पंचायत के मुखिया सूरज सिंह, अनुपम कृष शर्मा, सरपंच जय नारायण यादव, संजय यादव, जय किशोर शाह, नरेश उरांव, पूर्व मुखिया रतन उरांव, चंद्र देव चौधरी, सुहेल शेख, शमशाद शेख, अशोक यादव, मनजीत महतो, सुभाष पासवान, महाप्रसाद यादव, रवि तिवारी, शमशाद आलम, मो. आलमगीर, मुन्ना पासवान, मनोज पासवान, प्रमोद पासवान सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
स्थानीय लोगों ने जताई खुशी

पेट्रोल पंप खुलने पर स्थानीय ग्रामीणों में जबरदस्त खुशी देखने को मिली। लोगों का कहना है कि वर्षों से इस क्षेत्र में पेट्रोल पंप की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। अब न सिर्फ समय और पैसे की बचत होगी, बल्कि आपात स्थिति में भी राहत मिलेगी। किसानों ने इसे “खेती-किसानी की रीढ़” करार दिया।