विजय कुमार शर्मा बगहा, पश्चिम चंपारण
दिनांक:- 13-05-2025

चंपारण में इन दिनों कानून का पालन कुछ यूं हो रहा है कि अब थाना प्रभारी नहीं, एसआई नहीं, बल्कि खुद सिपाही ही न्याय की बागडोर संभाले बैठे हैं। ताज़ा मामला बगहा का है, जहां ओआरबी पुल के नीचे एक सिपाही हाथ में चालान बुक लिए लोगों को सबक सिखाते नज़र आए। नियमों की बात करें तो चालान काटने का अधिकार केवल सब-इंस्पेक्टर (एसआई) को होता है, लेकिन बगहा में तो सिपाही राज चल रहा है।
कहते हैं, कानून अंधा होता है—
लेकिन अब शायद उसे चश्मा पहनाने का काम सिपाही कर रहे हैं। जनाब इतने सक्रिय हैं कि उन्हें नियम-कानून की भी परवाह नहीं क्या करें, जब ऊपर से अभियान का हुक्म आया हो, तो नीचे वाले भी खुद को कप्तान समझने लगते हैं!
चलान के नाम पर चमत्कार
वाहन चेकिंग अभियान के तहत अब तक एक लाख अस्सी हजार पचानवे रुपए का चालान काटा जा चुका है। इसमें से कितने नियमों के तहत और कितने मनमाने तरीके से काटे गए, इसका जवाब शायद खुद सिपाही भी न दे सकें।
चंपारण में पुलिस की नई परंपरा – ड्राइवर भी बन गए दरोगा!
सूत्रों के अनुसार, अब तो पुलिस गाड़ी के ड्राइवर भी चालान काटने लगे हैं। यानी अब विभाग में पद से ज्यादा आत्मविश्वास काम करता है। शायद अगली बार थाना की झाड़ू लगाने वाला भी हेलमेट चेक करता नजर आए!
जनता की जुबान पर सवाल:

क्या सिपाही को चालान काटने का अधिकार है?अगर नहीं, तो नियमों का उल्लंघन करने वाले सिपाही पर क्या कार्रवाई होगी?और सबसे अहम – पुलिस खुद ही जब नियम तोड़े, तो जनता किसके पास जाए?
और सबसे अहम – पुलिस खुद ही जब नियम तोड़े, तो जनता किसके पास जाए? नगर में इस विषय को लेकर चर्चा गर्म है। लोग कह रहे हैं – अब तो सड़क पर उतरते ही कोई भी चालान काट देगा, बस वर्दी चाहिए।
प्रशासन खामोश, जनता हैरान!
इस पूरे घटनाक्रम पर अब तक पुलिस अधीक्षक बगहा सुशांत कुमार सरोज व पटखौली थाना अध्यक्ष हृदयानंद सिंह के दूरभाष पर पूछे जाने पर फोन नहीं उठा जिनकी कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है। सवाल यह है कि क्या वर्दीधारी अनुशासन के नाम पर अनुशासन तोड़ सकते हैं?